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मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

जब कोई टिप्पणी आती है



जब कोई टिप्पणी आती है ,जब कोई अनुसरण करता है 
अद्भुत सी खुशी मिल जाती है,अंजाना अपना सा लगाता है

जब ना मिला कोई अपना जो ,सुन लेता आप बीती मेरी
तब लिख डाली मन की बातें, ब्लाग के कोरे पन्नो पर ।
कुछ अंजाने लोगों ने , दिल से पढी लिखी बात मेरी
बाँट लिये सब दर्द मेरे , अपनी टिप्पणियां दे देकर ॥
मेरी तकलीफों को थोडा सा सुकून तब तब मिलता है
जब कोई टिप्पणी आती है ,जब कोई अनुसरण करता है

टूट रही थी जब मै , बिखर रहा था अस्तित्व मेरा
बस यही ख्याल आता था,छोड दूँ मै दुनिया ये ।
जाने किसका करिश्मा था, या अच्छा था मुकद्दर मेरा
जाने कैसे अचानक ही  , आ पहुँची ब्लाग की दुनिया मे  
मेरे मन का विश्वास और हौसला ,थोडा बढ सा जाता है  
जब कोई टिप्पणी आती है ,जब कोई अनुसरण करता है

कुछ करने की चाहत अब दिन प्रतिदिन बढती जाती है
कुछ लिखने को व्याकुल , मन ये प्रतिपल रहता है  
छोटी सी आवाज को मेरी ,नयी ऊर्जा मिल जाती है
जब जब चर्चा मंच मेरी कृति की सराहना करता है ॥
मेरे मन के विचारों को तब नया आयाम मिलता है
जब कोई टिप्पणी आती है ,जब कोई अनुसरण करता है

52 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर अपर्णा जी सभी ब्लोग्गेर्स के मनोभावों को समेत लिए आपने तो ...... बसंतोत्सव की शुभकामनाये

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  2. लिखते रहिये मन की..अनेक शुभकामनाएँ.
    टिप्पणियाँ और अनुसरणकर्ता बढ़ते चलेंगे.

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  3. रचनात्‍मकता के सकारात्‍मकता की ओर कदम बढ़ाने के लिए ऐसे दमदार कदमों की सबको आवश्‍यकता रहती है।

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  4. लीजिए खुशी को दोहरा तिहरा कर लिया जाए, अनुसरण भी कर लिया है।

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  5. बहुत सुन्दर रचना ! यह एक मनोवैज्ञानिक पहलू है मानव भावनाएं बांटना चाहता है, जब कोई उसकी भावनाएं समझता है तो दिल हल्का हो जाता है.

    सुन्दर रचना के लिए आभार.

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  6. ख़ुशी का इजहार करना भी कितना मुश्किल हैं.
    दर्द ये बंया कितना आसान.

    रो रो के सब सुना दो ज़माने को,
    हसने के लिए भी बहाना चाहिए.

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  7. आपने तो दिल की बात सबको बता दी!
    चर्चा मंच पर आपका अभिनन्दन होता रहेगा!

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  8. चेहरे पे खुशी छा जाती है, आंखों में सुरुर आ जाता है...

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  9. गलत कहा जी आपने, यहां कोई अनजाना नहीं, कोई पराया नहीं। सभी अपने है। अपना परिवार। सारा जहां हमारा।

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। मेरे दिल की बात। आभार।

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  10. डॉ॰ मोनिका शर्मा
    Tarkeshwar Giri
    अरविन्द जांगिड
    अविनाश वाचस्पति
    Udan Tashtari"समीर जी"
    Rajeev Bharol
    और अपने सभी पाठकों की मै शुक्रगुजार हूँ
    जिन्होने समय समय पर मेरा हौसला बढाया है ।

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  11. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" (चाचा जी ) बस आपका यूँ ही आशीर्वाद मिलता रहे । आपने हमेशा पढ कर हमे लिखन सुधार करते के लिये मेरा मागृदर्शन किया है

    अरुण जी आपने सही कहा , यहाँ कोई पराया नही

    सुशील जी बस यूँ ही मेरी आँखों मे खुशी के आँसू बनाये रखिये

    आप सभी का धन्यवाद

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  12. ब्लॉगिया सिहरन को सुन्दर शब्द दे दिये आपने।

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  13. अपर्णा जी
    बहुत संजीदा तरीके से आपने ब्लॉग जगत के अनुभवों को साँझा किया है ...आपकी कविता का हर भाव ग्राह्य है ...बहुत सुंदर भाव के साथ पेश की गयी उम्दा रचना ...यूँ ही लिखते रहिए..........शुभकामनायें

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  14. हर ब्लोगर की यही कहानी... भावनाओं को बेहतरीन तरीके से व्यक्त किया है अपर्णा जी...

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  15. लिखा है आपने पर है यह सभी ब्‍लागरों के मन की। अच्‍छी पोस्‍ट । कभी आईए,atulshrivastavaa.blogspot.com
    यहा भी एक अनूठी प्रेम कहानी, जो खतों में है ढली,
    Pls promote/vote for my blog at above url

    http://www.indiblogger.in/blogger/29751/

    जवाब देंहटाएं
  16. अब मैने फैसला किया है कि ब्लाँग आँफ द मंथ पुरस्कार को चुनने के लिए ब्लाँग जगत मे सक्रिय लोग ही इसका फैसला करेँगे । इसलिए अब इस पुरस्कार के लिए एक नया चयन पैनल बनाया जाएगा ,जिसके लिए आप लोगो के सहयोग की अत्यन्त आवश्यकता है । इस पैनल मे एक प्रमुख,तीन सहायक प्रमुख, और अधिकतम 10 सदस्य हो सकते हैँ । और 2 पर्यवेक्षक होँगे ,
    कुल पन्द्रह सदस्यी नई चयन टीम का गठन आपके बिच से ही होना है , ब्लाँगर धर्मवीर भारती ,साहित्यकार गिरीश पंकज के नाम का सुझाव हम पर्यवेक्षक के रुप मे दे रहे हैँ । आपकी क्या राय है ,आप सदस्य बनने के लिए इच्छुक हैँ तो प्लिज हमे bhojpurikhoj@gmail.com पर मेल कर देँ ।
    न तो हम कोई आमदनी कमाते हैँ और ना किसी विजेता ब्लाँग को राशि प्रदान की जाएगी ,लेकिन हाँ आँनलाइन प्रमाण-पत्र और 51 रुपये का पुरस्कार विजेता ब्लाँगोँ को अब से जरुर प्रदान किया जाएगा । हिन्दी ब्लाँगिँग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरु किए गए इस पुरस्कार पर कुछ ब्लाँगर साथियोँ ने पक्षपात का आरोप लगाया था । इसलिए जरुरी है कि इटिप्स ब्लाँग टीम इसकी विश्वसनियता बनाये रखे ।

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  17. वाकई अच्छा लगता है ..ब्लॉग में अपना घर महसूस करते देर नहीं लगती ...
    मगर यहाँ बुराइयां और घटियापन भी कम नहीं सावधान रहें ...
    शुभकामनायें

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  18. सहज अभिव्यक्त किया आपनें स्वयं को!!
    लगता सभी को अच्छा है, पर लोग मुखारित नहीं करते।
    सतीश जी नें सही कहा, कुछ बदनियत भी है यहां। कई तो विचार और मंतव्यों के लूटेरे!!

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  19. हालाँकि पिच्च्ले कुछ दिनों से इस दुनिया से मोहभंग हो गया है....
    बड़ी अजीब जगह है, लोग नाम के साथ तारीफ करते हैं, और वही लोग बेनामी बनकर गालियाँ भी देते हैं...
    ये जगत बिलकुल भी सुन्दर नहीं है जी....:(
    आज कल निराश हूँ...शायद इसलिए इस तरह की टिपण्णी की है...
    हालाँकि कुछ चुनिन्दा लोग हैं यहाँ, जिनसे लगाव हुआ है ..बाकी तो ऐसे ही हैं....

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  20. बसंत पंचमी के अवसर में मेरी शुभकामना है की आपकी कलम में माँ शारदे ऐसे ही ताकत दे...:)

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  21. लीजीए ..अनुसरण भी करना शुरू कर दिया और टिप्पणी तो कर ही रहे हैं ....तो भईया जी इश्माईल ...। सरलता से और जिस सहजता से आपने मन की बात रख दी ...उसके लिए बधाई और शुभकामनाएं । जारी रखिए

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  22. प्रवीण पाण्डेय जी
    केवल राम जी
    Shah Nawaz जी
    यशवन्त माथुर जी
    Atul Shrivastava जी
    सतीश सक्सेना जी
    सुज्ञ जी
    सञ्जय झा जी
    shekhar suman जी
    संजय भास्कर जी
    अजय कुमार झा जी

    आप सभी का मेरा उत्साह बढाने के लिये शुक्रिया

    सतीश जी आपकी बात हम हमेशा याद रखेंगें

    शेखर जी आपकी निराशा जल्द ही दूर हो

    अजय जी भैया जी की जगह आप बहन जी कह सकते हैं ,वैसे हम इश्माइल कर दिये आपकी टिप्पणी पढ कर

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  23. अपर्णा जी, आप ने इस बात पर इतनी अच्छी पोस्ट लिख डाली........ बहुत ही सुन्दर. सच टिप्पणिया जैसे एक प्रेरणास्रोत की तरह लगती है.

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  24. ये तो सभी ब्लोगर के मन की बात है सबकी इच्छा है | लीजिये हम भी फालो कर लेते है |

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  25. चलिये, जिस चीज से अच्छा लगे, वही कार्य करना चाहिये.

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  26. तुमने न सिर्फ मेरी बल्कि हर रचनाकार के मन की बात को सुन्दर शब्दों से सजा दिया है ... बहुत खूब

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  27. पहली बार आप के ब्लॉग पर आना हुआ.
    रचना पढ़ कर लगा कि जैसे मेरी ही रचना है.
    यही रचनाकार की जीत है.
    अनुसरण तो अब करना ही पडेगा.
    आप की कलम को सलाम.

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  28. आपने दिल से ही कही ...दिल की बात और वो भी बेबाकी के साथ !
    बधाई और शुभकामनाएँ !

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  29. दिल से कही आपने दिल की बात ...और अधूरी नहीं पूरी पूरी !
    धन्यवाद और शुभकामनाएँ

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  30. लिखते रहिये मन की...
    टिप्पणियाँ और अनुसरणकर्ता बढ़ते चलेंगे
    धन्यवाद और शुभकामनाएँ

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  31. और अंत में .........
    पछुआ पवन भी चला आया
    इति सिद्धम

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  32. wah....bohot khoob.....kitna pyaara sa sach likha hai....aur kya khoob andaaz mein likha hai...accha laga :)

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  33. मेरे मन के विचारों को तब नया आयाम मिलता है
    जब कोई टिप्पणी आती है ,जब कोई अनुसरण करता है

    आपकी कविता में सादगी देखने योग्य होती है.
    बहुत बढ़िया..

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  34. इस पोस्‍ट में तो कि‍सी भी टि‍प्‍पणी का बेहद मार्मि‍क ढंग से स्‍वागत दि‍ख रहा है, लेकि‍न क्‍या टि‍प्‍पणी हमेशा ही भली होती है ???

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  35. क्‍या बात है, आपने तो सबके मन की बात इतनी आसानी से कह दी।

    ---------
    ब्‍लॉगवाणी: एक नई शुरूआत।

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  36. आदरणीया अपर्णा जी ,
    आपने तो साँची-साँची बात को बहुत खूबसूरत और ह्रदयश्पर्शी तरीके से व्यक्त किया है |
    आपकी लेखनी अबाध गति से चलती रहे , हार्दिक शुभकामना है !

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  37. सटीक ब्‍लॉगरीय अभिव्‍यक्ति.

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  38. मेरे मन के विचारों को तब नया आयाम मिलता है
    जब कोई टिप्पणी आती है ,जब कोई अनुसरण करता है
    आपका शुक्रिया....

    जवाब देंहटाएं
  39. आदरणीया अपर्णा दीदी
    पहले भी पढ़ी दोबारा पढ़ रहा हूँ दो बार पढने पर भी मन नहीं भर रहा समय मिला तो फिर पढूंगा
    कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई

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  40. बहुत सुंदर भाव के साथ पेश की गयी उम्दा रचना| शुभकामनायें|

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  41. .

    देर तो हुई आने में , फिर भी ख़ुशी है की अपनी टिपण्णी दर्ज करने में सफल हो सकी ।

    सुन्दर कविता लिखी आपने ।

    .

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  42. टिप्पणियां प्रोत्साहित करती हैं,शक नहीं। मगर वही टिप्पणियां महत्वपूर्ण हैं जिनमें तटस्थ समीक्षा भाव हो। अन्यथा,अनावश्यक प्रशंसा जल्द ही बोरियत का कारण बन जाती हैं।

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  43. :):):)
    ye muskuraahat is liye kyo ki man ki baat kah di aapne.
    dhanyawaad.

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  44. बहुत सुंदर तरीके से मन के भावों को व्यक्त किया है...बहुत ही अच्छे शब्दों में....बधाई

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  45. मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।

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  46. एक एक शब्द ऐसे लगते है जैसे ऐसा ही कुछ महसूस हमने भी किया हो चर्चा मंच में चुना जाना टिप्पणियों से मिलने वाला उत्साहवर्धन और अनुसरण करना .......................

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  47. हमेशा कि तरह इस बार भी हमारी शैली में दीदी ये आप के लिए :-)

    जब रोज सुबह उठ कर अब तो एक सोच यही चल जाती है
    कुछ आज अलग सा लिखना है बस कलम उसी पल आती है
    सामाजिक हो या सांसारिक, एक विषय ये मन बतलाता है
    जैसे जैसे इन ब्लोगों में टिप्पणियां बढती जाती हैं
    विश्वास सा मन में बढ़ता है इच्छाएं दृढ हो जाती हैं
    जीवन का हिस्सा समझ इसे मन गर्व से यूँ बढ़ चलता है
    जब कोई टिप्पणी आती है ,जब कोई अनुसरण करता है

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और लेखन को सुधारने के लिये आवश्यक

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