प्रशंसक

मंगलवार, 6 फ़रवरी 2018

मुझसे मुहब्बत करने से पहले


मुझसे मुहब्बत करने से पहले
सुन लो मेरी दास्ता
पढ लो वो सारे पन्ने
जिनमें बसे हैं
कुछ महके पल
कुछ बेबस आंसूं
हाँ, खबर है मुझे
कि कई महीनों से
बन कर साया
रहते हो मेरे आस पास
करते हो कोशिश
मुझे जानने की
मुझे समझने की
आओ,
बैठो कुछ पल मेरे साथ
बताती हूँ तुम्हे
अपना अतीत
अपना इतिहास
अपने वो सारे राज
जिन्हे कैद कर रखा है
दिल के किसी कोने में
जिन्हे पढ नही सकता
कोई भी यूं ही राह चलते
तुम तो देख सके होगे
सिर्फ मेरा दूधिया रंग
गुलाब से होठ
कजरारी आंखे
लहराती जुल्फे
मगर दिखाती हूँ तुम्हे
माथे का न दिखने वाला कलंक
बदन पर चुभे कांटे
और आंखों में बसे सूखे अश्क
ये दिल जिसमें रखते हो
बसने की तुम ख्वाइश
हो चुका है घायल कई बार
जिन पैरों में
रखते हो तुम तमन्ना
पहनाने की
छन छन करती पायल
कर चुके है शोर
बांध कर मजबूरियों के घूंघरू
नही हो तुम प्रथम भ्रमर
कई बार हुआ है ये पुष्प दूषित
वैसे तो और भी है 
बहुत कुछ बताने को
मगर मेरे ख्याल से
इतना ही काफी है
तुम्हारे सोचने के लिये
कि क्या कुछ और जानना चाहिये था
मुझसे मुहब्बत करने से पहले

6 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,
    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरूवार 8 फरवरी 2018 को प्रकाशनार्थ 937 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. हर गली में, कहीं न कहीं, किसी न किसी की, ऐसी आह भरी दास्ताँ दफ़न होती है पर उसको क़ब्र से क्यों निकाला जाय?

    जवाब देंहटाएं

आपकी राय , आपके विचार अनमोल हैं
और लेखन को सुधारने के लिये आवश्यक

GreenEarth