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रविवार, 28 मार्च 2021

अबके होली


अबके होली, ना रंग लगाना

ना टोली बनाना

ये मौसम करोना का है-२

श्याम दूर से ही फाग गाना,

ना मौज मनाना

ये मौसम करोना का है-२

राधे ,मनवा तो माने नही है

हां तोरी बतिया सही है

ये मौसम करोना का है-२

कान्हा पीना नही तुम भंग

ना कीजो हुडदंग

ले ग्वालों को संग

ना पड जाय रंग में भंग

गिरधारी ओ गिरधारी ना यमुना में जाना

ना गोपी बुलाना

ये मौसम करोना का है-२

राधे, मनवा तो माने नही है

हां तोरी बतिया सही है

ये मौसम करोना का है-२

कान्हा दिल में करो ना मलाल

अरे अगले साल

मचेगा धमाल

उडेगा फिर सतरंगी गुलाल

बनवारी, ओ बनवारी जरा घर तो आना

है टीका लगाना

कि मौसम करोना का है-२

राधे, मनवा तो माने नही है

मगर बतिया सही है

ये मौसम करोना का है-२

अबके होली, ना रंग लगाना

ना टोली बनाना

ये मौसम करोना का है-२

बुधवार, 24 मार्च 2021

बात

 


बाते, खिला सकती है, मुरझाई बगिया

बाते दे देती कभी न भरने वाला घाव

सुनी थी माँ से बचपन में एक कहावत

बातन हाथी पाइये, या बातन हाथी पाव

बात का बन भी सकता है बडा बतंगड

बात बात में बन भी जाती उलझी बात

बातों ही बातों में अक्सर जुड जाते दिल

जब बात-बात में बन जाती किसी से बात

हाँ बात के नही होते यूं तो सिर या पैर

मगर निकलती तो दूर तलक जाती बात

कहती पलाश सबसे सौ बात की इक बात

सोच समझ कर सदा कहो किसी से बात

सोमवार, 22 मार्च 2021

नही फायदा यहां समझाने का



अब वक्त नहीं मिलता

लोगों को मिलने मिलाने का

जाने कहां रिवाज गया

हाल पूछने को घर आने का

हो जाती हैं मुलाकातें,

हाथ मिलते हैं गले 

जाने खोया कहां अदब

चाय पर घर बुलाने का

उलझाना सुलझी लटों को

उतारना अरमान पन्नों पर

काश दौर वो लौट आए

तकियों में ख़त छुपाने का

आती नही खुशबू खानों की

अब पडोस के रसोईखानों से

दावतों का बदला चलन, गया

मौसम बिठाकर खिलाने का

अदबो लिहाज पिछडेपन की

निशानियां हुयी हैं जब से

दुआ सलाम गुमनाम हुये

हाय बाय से काम चलाने का

पलभर में गहरा इश्क हुआ

पल में ताल्लुक खत्म हुये

पल में फिर दिल लगा कही

है वक्त नही अश्क बहाने का

सच में आधुनिक हुये है या

जा रहें अंधेरी गर्त में सब

जी पलाश तू अपने लहजे से

नही फायदा यहां समझाने का 

शनिवार, 20 मार्च 2021

बना दिया

मस्त निगाहों ने दिल, मस्ताना बना दिया

हमें साकी औ खुद को मैखाना बना दिया  

वो दूर का चांद सही, दूसरा जहान सही

उसे पाने को जीने का, बहाना बना दिया

 ढली उम्र तो, कई रिश्ते नाते भी ढल गये

हमें किताब से, अखबार पुराना बना दिया

 ज़रा सा क्या दूर गये, उनके शहर से हम

अंजान को अपना, हमें बेगाना बना दिया

 जल रहा था रेत सा, ये दिल इश्क़ के बगैर

उनकी दस्तक ने समां, सुहाना बना दिया

 ये बचपन का हुनर है, या मासूमियत उसकी

टूटे हुए डिब्बों को मंहगा, ख़ज़ाना बना दिया

 हमने यूं ही मजाक में, कुछ उनसे कह दिया

ज़रा सी बात का लोगों ने फ़साना बना दिया

 दिले मासूम बेखबर था, तबियत मोहब्बत से

हकीम इश्क़ ने पलाश को दीवाना बना दिया

सोमवार, 15 मार्च 2021

रात भर

 


क्या जगाकर हमें वो, सो सकेगा रात भर

शमा बुझ गई अंधेरा अब, जगेगा रात भर

कर सका ना हौसल वो, कहने का हाले दिल

महफ़िल में ख्वाबों की अब, कहेगा रात भर

करी कोशिशें मना सका ना, रुठे सनम को

कदम भर की जुदाई ये दिल, सहेगा रात भर

मसरूफ हो किसी तरह, ये दिन गुजरा है

तनहाइयों का बिच्छू अब, डसेगा रात भर

क्यूं न एतबार किया दिलबर की बात का

अफसोस औ मलाल दिल करेगा रात भर

हर बात पहली मुलाकात की, याद आयेगी

सुबह की बाट देखता, अब रहेगा रात भर

 मगरूर हो, ना रोका जरा, जाते पलाश को

खत ना जाने कितने अब, लिखेगा रात भर


रविवार, 14 मार्च 2021

इक बार फिर

 


तुम नहीं आये लो, इक बार फिर

रही कसम अधूरी, इक बार फिर

सुन लेंगें कोई, नई मजबूरी तेरी

समझा लेंगें दिल, इक बार फिर

खुशियां ही दो तुम, जरूरी नहीं

थोडा सिसक लेंगें, इक बार फिर

की कोशिशें कई, न करें शिकायतें

कर बैठे शिकवे मगर, इक बार फिर

तेरी छुअन का जादू चला हम पर

खिल के फूल हुये, इक बार फिर

सोचकर बैठे थे, ना मानेगी पलाश

तेरी बातों में उलझे, इक बार फिर

सोमवार, 1 मार्च 2021

बहल जायेगा


वक्त मुश्किल है मगर, ये भी निकल जायेगा

रेत की तरह ये भी, हाथों से फिसल जायेगा


यकीं रखो तो जरा, आंच-ए- इश्क पर जानिब

वो संगे दिल ही सही, फिर भी पिघल जायेगा


नसीहतें मददगार बनें हरदम, जरूरी तो नहीं

ठोकरे पाकर ,वो खुद ब खुद ही संभल जायेगा


आज का दिन भले भारी है, तेरे दिल पे बहुत 

हौसला रख बुलंद, ये मुकद्दर भी बदल जायेगा 


याद करने से रोने से, कहाँ कुछ हासिल हुआ

करोगे कोशिशे तो, दिल खुद ही बहल जायेगा


खुशी से कर इस्तकेबाल, पलाश नई सुबह का

होते मियाद पूरी दिन, कुदरतन ही ढल जायेगा

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