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गुरुवार, 1 जनवरी 2015

कुछ यूं आये साल नया




कुछ ख्वाब अधूरे हों पूरे
कुछ नयी उम्मीदें पलें दामन में
कुछ बिगडी बाते बन जायें
कुछ नये रिश्ते महके आंगन में
कुछ दर्द दिलों के राहत पायें
कुछ प्रीत बिखरे आंचल में
कडवाहट कम हो नफरत की
कुछ नये स्वर निकलें फिर पायल से
कुछ यूं आये नव वर्ष की सुबह
जैसे नव वधू उतरी हो आंगन में
मन झूम उठे यूं खुशियों से
जैसे मोर नांच उठता है सावन में

नूतन वर्ष का हर पल शुभ हो
इतनी सी अभिलाषा है, इस दिल में

6 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रस्तुति....
    आपको भी नए साल 2015 की बहुत बहुत हार्दिक मंगलकामनाएं!

    जवाब देंहटाएं
  2. नूतन वर्षाभिनन्दन.....आपकी लिखी रचना शनिवार 03 जनवरी 2015 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  3. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (03-01-2015) को "नया साल कुछ नये सवाल" (चर्चा-1847) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    नव वर्ष-2015 आपके जीवन में
    ढेर सारी खुशियों के लेकर आये
    इसी कामना के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. कुछ यूं आये नव वर्ष की सुबह,
    जैसे नव वधू उतरी हो आंगन में
    मन झूम उठे यूं खुशियों से,
    जैसे मोर नांच उठता है सावन में
    ...............अरे वाह शब्द जैसे ढ़ल गये हों खुद बखुद, इस तरह कविता रची है आपने अपर्णा जी
    आपको और पूरे परिवार को नए साल की बहुत बहुत हार्दिक मंगलकामनाएं!

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  5. सुन्दर प्रस्तुति ! नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये

    जवाब देंहटाएं

आपकी राय , आपके विचार अनमोल हैं
और लेखन को सुधारने के लिये आवश्यक

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