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गुरुवार, 16 नवंबर 2017

जिन्दगी, तब जिन्दगी बनती है


जिन्दगी,
जिन्दगी तब नही बनती
जब आई आई टी या आई आई एम में
सेलक्सन हो जाता है

जिन्दगी
जिन्दगी तब भी नही बनती
जब कोई
आई ई एस अफसर बन जाता है

जिन्दगी
जिन्दगी तो तब भी नही बनती
जब कोई
देश विदेश घूम आता है

जिन्दगी
फिर भी जिन्दगी नही बनती
जब कोई
बेसुमार धन दौलत पाता है

जिन्दगी
जिन्दगी कहाँ बन पाती है
जब कोई
अधिकारी या राजा बन जाता है 

सारी जिन्दगी 
हम कवायत करते हैं
जिन्दगी को जिन्दगी बनाने की
मगर जिन्दगी नही बनती 

फिर भी
सब कहते हैं
ये कर लो
तो जिन्दगी बन जायेगी
वो कर लो 
तो जिन्दगी बन जायगी
फिर भी 
जिन्दगी, जिन्दगी नही बनती

दरअसल
जिन्दगी,
जिन्दगी तब बनती है
जब जिन्दगी का कोई एक पल
किसी की जिन्दगी बन जाता है,
जब जिन्दगी के किसी पल में
पराई पीर पर दिल भर आता है,
जब आपकी कोशिश से
रोता चेहरा खिलखिला जाता है,
जब एक अजनबी आपको
खुदा मान सर झुका जाता है,
जिस पल दूसरों की जिन्दगी के लिये
कोई जिन्दगी की बाजी लगा देता है।
जिन्दगी
जिन्दगी तब बनती है
जब 
जिन्दगी का कोई एक ऐसा पल
जब मिलता है जिन्दगी से
जिन्दगी 
तब जिन्दगी बनती है
हमेशा के लिये
अमर होकर जीती है
मृत्यु पर विजयी बन कर

वरना तो
हर कोई यहाँ
सिर्फ एक उम्र जीता है
जिन्दगी बनने की प्रतीक्षा लिये

4 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी सीख देती हुई रचना ।
    धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय डॉ. अपर्णा त्रिपाठी जी। सादर आग्रह के साथ निवेदन है कि आप मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों -
    मेरे ब्लॉग का लिंक www.rakeshkirachanay.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  3. हमेशा के लिये
    अमर होकर जीती है
    मृत्यु पर विजयी बन कर
    निशब्द... :) just want to say hats of to you mam.....

    जवाब देंहटाएं
  4. शहर से बाहर होने की वजह से .... काफी दिनों तक नहीं आ पाया ....माफ़ी चाहता हूँ..

    जवाब देंहटाएं

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