tag:blogger.com,1999:blog-6043179371014088241.post9015548883539331748..comments2024-02-24T08:20:01.931-08:00Comments on palash "पलाश": अपना शहर ……palashhttp://www.blogger.com/profile/09020412180834601052noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-6043179371014088241.post-4830642467716398012011-11-25T03:52:09.296-08:002011-11-25T03:52:09.296-08:00बहुत सुन्दर भावनाएं संजोयीं है आपने...
सादर बधाईबहुत सुन्दर भावनाएं संजोयीं है आपने...<br />सादर बधाईS.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6043179371014088241.post-13268470709114563082011-11-24T02:36:58.093-08:002011-11-24T02:36:58.093-08:00कल 25/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर...<i><b> कल 25/11/2011को आपकी यह पोस्ट <a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.com" rel="nofollow"> नयी पुरानी हलचल </a> पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .<br />धन्यवाद! </b></i>Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6043179371014088241.post-68548717440256199092011-11-23T20:10:35.235-08:002011-11-23T20:10:35.235-08:00समझे तब जब उससे मीलों दूर हम आ बैठे |
यह पीड़ा शायद...समझे तब जब उससे मीलों दूर हम आ बैठे |<br />यह पीड़ा शायद सबके मन में उठती है,किंतु बड़ी ही मधुर भी होती है.खूबसूरत यादें.<br />कुछ इन्हीं भावों पर एक गीत यह भी<br />आज अपने घर के आँगन की याद आती हैअरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6043179371014088241.post-330381920278626762011-11-19T20:52:26.297-08:002011-11-19T20:52:26.297-08:00अपना घर -अपना शहर ही अपना होता है ... बहुत सुंदर र...अपना घर -अपना शहर ही अपना होता है ... बहुत सुंदर रचनारजनीश तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/10545458923376138675noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6043179371014088241.post-51551916942453573212011-11-17T04:57:54.139-08:002011-11-17T04:57:54.139-08:00जब देखा गली पे बच्चों को खेलते क्रिकेट,
और फिर अपन...जब देखा गली पे बच्चों को खेलते क्रिकेट,<br />और फिर अपने ही शीशे के टूटने की आवाज |<br /><br />अपने बचपन का सुहाना दौर याद आया,<br />उसकी हर गली हर एक मोड याद आया ...<br /><br />वाह ... कहाँ लौटा के ले गए आप पुराने दिनों में ... कितने कांच टूटते थे अब क्या बताएं ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6043179371014088241.post-68973933292530788042011-11-16T17:58:17.960-08:002011-11-16T17:58:17.960-08:00बहुत कुछ पठनीय है यहाँ आपके ब्लॉग पर-. लगता है इस ...बहुत कुछ पठनीय है यहाँ आपके ब्लॉग पर-. लगता है इस अंजुमन में आना होगा बार बार.। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद !प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6043179371014088241.post-47846019113700377092011-11-16T04:24:27.876-08:002011-11-16T04:24:27.876-08:00घूमा बहुत मैं और देखी भी बहुत दुनिया,
सपनों की नग...घूमा बहुत मैं और देखी भी बहुत दुनिया,<br /><br />सपनों की नगरी से लगे बहुत से नगर |<br />पर अपने शहर सा कोई भी ना शहर पाया,<br /><br />उसकी हर गली हर एक मोड याद आया ||<br />बहुत ही सुंदर हर एक की यादों को ताज़ा करती दिल को छु लेनी वाली सुंदर रचना ....समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत हैPallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6043179371014088241.post-39916706110481053202011-11-15T23:16:02.391-08:002011-11-15T23:16:02.391-08:00यादों को झंकृत करती आपकी यह रचना हर याद को ताजा क...यादों को झंकृत करती आपकी यह रचना हर याद को ताजा कर देती है ....!केवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6043179371014088241.post-8981213373204649752011-11-15T20:58:56.569-08:002011-11-15T20:58:56.569-08:00मन समर्पित तन समर्पित. मन समर्पित तन समर्पित और यह...मन समर्पित तन समर्पित. मन समर्पित तन समर्पित और यह जीवन<br />समर्पित चाहता हूँ मातृ-भू तुझको अभी कुछ और भी दूँ ॥ramjinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6043179371014088241.post-54540052972444465302011-11-15T19:26:05.953-08:002011-11-15T19:26:05.953-08:00सोचते थे प्यार लोगों से होता है जगह से नही,
समझे ...सोचते थे प्यार लोगों से होता है जगह से नही,<br /><br />समझे तब जब उससे मीलों दूर हम आ बैठे |<br /><br />उसकी मोहब्बत में खुद को जकडा पाया,<br /><br />उसकी हर गली हर एक मोड याद आया ||<br /><br /><br />वास्तविकता भी यही है...ऐसा ही होता है। <br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6043179371014088241.post-40822390455879773602011-11-15T18:30:11.857-08:002011-11-15T18:30:11.857-08:00वो गलियाँ बहुत याद आती हैं।वो गलियाँ बहुत याद आती हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6043179371014088241.post-84374904482561457902011-11-15T14:19:52.620-08:002011-11-15T14:19:52.620-08:00पर अपने शहर सा कोई भी ना शहर पाया,
ये कहीं न कहीं...पर अपने शहर सा कोई भी ना शहर पाया,<br />ये कहीं न कहीं हर किसी की अनुभूति के धरोहर हैं!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6043179371014088241.post-11056585585405039132011-11-15T09:55:12.454-08:002011-11-15T09:55:12.454-08:00शहर की यादें ..बहुत कुछ याद दिला देती हैं ..सुन्दर...शहर की यादें ..बहुत कुछ याद दिला देती हैं ..सुन्दर प्रस्तुतिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6043179371014088241.post-64783177192762572022011-11-15T08:41:58.969-08:002011-11-15T08:41:58.969-08:00उसकी हर गली हर एक मोड याद आया ||
उसकी हर गली हर एक...उसकी हर गली हर एक मोड याद आया ||<br />उसकी हर गली हर एक मोड याद आया ...........दी बिलकुल सही कह रही है आप... अपना शहर तो अपना ही होता है.... कैसे भूल सकता है कोई.....विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.com