मिलता नही अवसर कि
देखे कभी मृत्यु के पार,
जीते जी ना कर पाया कोई
मृत्यु से साक्षात्कार,
यूँ तो कहते है सब
कुछ नही मृत्यु के बाद,
पर दो पल हों तो चलो
मेरे संग आज मृत्यु के पार,
जीवन खत्म नही होता है
तन से प्राणों के जाने से,
माना आखँ नही खुलती है
चिर निद्रा में सो जाने से,
पंचतत्व* से ही बनते हम
ये तो सभी मानते हैं ,
छोड के जाना पंच तत्वों ** को
ये सब नही जानते हैं,
अनन्त उम्र का जीवन
राह देखता खडा मृत्यु के पार,
पर सच्चे जीवन को ही मिलता
अनन्त जीवन का उपहार,
सबको मिलता नही अवसर कि
जाये मृत्यु के पार,
मर कर भी कर पाये वो
जीवन से साक्षात्कार .................
*नभ , जल , वायु, अग्नि, धरती
** विचार , शब्द , आचार , व्यवहार ,कर्म