बेदिल दिल देखे उनके
जो दिलवाले कहलाते हैं
चराग बाटंने वाले अक्सर
रातों में ख्वाब जलाते हैं
कहाँ दिखेगें दाग भला
सफेदपोशों के दामन में
गुनाहो का कारोबार तो ये
खाली पेटों से करवाते हैं
कैसे ढूंढेगा कोई भला
अंधियारे में उजियारे को
सच को बदनाम झूठ के
जब नकाब पहनाये जाते हैं
कहने से भला कहाँ होगा
इश्क आजाद मजहब से
इंसा तो क्या खुदा पर भी
जब मुकद्दमें चलाये जाते हैं
किस हद तक और गिरेगा
हैवान अपनी हैवानियत से
इंसा छोडो, मुर्दो पर भी
जब इल्जाम लगाये जाते है