जानती हूँ
मै साधन सम्पन्न नही
न आपसी आवाज मेरी बात
में
किन्तु सोचती शायद पहुंचे
आप तक मेरी बात ये
सम्भव नही और न जरूरत
कहूँ सभी से मन की
बात
पर जरूरी है कह ही दूँ
उठती हदय में जो बात
हूँ बहुत छोटी
उम्र में भी अनुभवों
में भी
किन्तु सौ करोड में
हूँ इक इकाई मै भी
देश को संचार तकनीक
से भी कुछ ज्यादा जरूरी
खेत को समेटेने से
उन्नति रहेगी अधूरी
हो सके तो गाँव से
गाँव न मिटने दीजिये
किसान को शहरो में
मजदूर न बनने दीजिये
हर शहर में रोटी रहे
ऐसा अपना विज्ञान हो
घर का बच्चा घर में
रहे
ऐसा कुछ प्राव्धान
हो
आज हर किसी घर का
एक ही बस राग है
वॄद्ध दम्पति घर में
अकेला
सन्तानों का मल्टीनेशनल
काम है
चार कमरो के घर
इधर वीरान हो रहे
उधर शहर बसाने को
खेत बंजर हो रहे
जाती ट्रेन टेलीफोन
पर
महीने की आधी कमाई
अपने घर के सपने ने
नींद युवाओं की उठाई
नही चाहती देश मेरा
हो अमेरिका या जापान
सा
हो सके तो हिन्द करो
दो
सोने की चिडिया के
जैसा
हर गली हर मोड पर
लोग मेरे खुशहाल हो
अपने घर से पलायन को
न मजबूर हिन्दुस्तान
हो
न मजबूर हिन्दुस्तान
हो