पलाश सिर्फ अपनी डाल पर लगता है और खिल कर धरती पर गिर जाता है। वह सिर्फ अपने लिए अपनी डाल पर ही सीमित रहता है। और डाल से अलग होते ही अपने अस्तित्व को समाप्त कर देता है। यही है उसका पूर्ण समर्पण उस डाल के प्रति जिसने उसको जीवन दिया ।
बहुत सुन्दर
आपकी राय , आपके विचार अनमोल हैंऔर लेखन को सुधारने के लिये आवश्यक
बहुत सुन्दर
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