वो कहते हैं मुझे हंसने का बहाना नही मिलता ।
खुश हो लेते दो घडी वो मुस्कुराना नही मिलता ॥
दर्द तो हर पल मेरे साथ साये से रहते हैं ।
हम जिससे बांट लेते वो दीवाना नही मिलता ॥
साथ खुशियों में देना जमाने की आदत है यही ।
अश्को को तो आँखो में भी ठिकाना नही मिलता ॥
तुम खोजते हो किसको जरा आईना तो देखो ।
दुनिया खुद से ही है किसी को जमाना नही मिलता ॥
कोशिश तो करो हर खुशी पर तेरा भी हक है ।
हाथ पे हाथ धरने से तो निवाला नही मिलता ॥
वक्त की मार पडी है तो इतना गम ना कर ।
तपें बिना सोने को सही नजराना नही मिलता ॥
इंसा वही है जो दर्द को भी हंसना सिखा दे यूं ।
कि तकलीफे कहें हमे तडपानें का निशाना नही मिलता ॥
आज जिस बात पर रोते हो कल हंसोगे उसी पर ।
फिर कहोगे एक रोज कि रोने का बहाना नही मिलता ॥