ईश्वर से कुछ ना मांगें हम
सब कुछ तुमसे पाया है
राम सिया से मात पिता की
हम बच्चों पर छाया है
तुम दोनो को संग में देख के
मन हर्षित हो जाता है
अद्भुद सी अनुपम जोडी को
देख के मन यह गाता है
युग युग तक आशीष मिले बस
और नहीं कुछ पाना है
राम सिया से मात पिता की........
कर्म ही धूरी जीवन जिसका
जो सत की सच्ची सूरत
त्याग तपस्या लक्ष्य है जिसका
ममता प्रीत की वो मूरत
इठलाती हूं भाग्य पे अपने
पारस हमने पाया है
राम सिया से मात पिता की........
ईश्वर से कुछ ना मांगें हम
सब कुछ तुमसे पाया है
राम सिया से मात पिता की
हम बच्चों पर छाया है