एक बार खता
मैने भी की,
दिल किसी से
लगाने की,
एक बार
गुनाह हुआ हमसे
दिल किसी
का चुराने का,
एक बार तमन्ना
कर बैठी,
प्यार किसी का
पाने की,
एक बार हुआ
जी मेरा
इश्क की हद से गुजर
जाने का
एक बार दिखा है मुझको
भी
चांद दिन के उजालों
में
एक बार आया मेरे घर
भी
मौसम भीनी मोहब्बत
का
एक बार नही दो बार
नही
बस तो हर पल एक आलम
है
याद आता है बस अब वो
सब
जो एक बार हुआ, एक
बार हुआ