प्यार - एक ऐसा शब्द जो मात्र शब्द नही- शक्ति है , जीवन का आधार है , एक ऐसी पूँजी है जिसे पाने के लिये हम खुशी खुशी अपना सब कुछ लुटा सकते हैं । प्यार एक ऐसा शब्द जिसकी हर किसी के लिये अपनी एक अलग परिभाषा है , हर किसी के लिये इसके अलग- अलग मायने है , हर किसी का अपना अपना तरीका है महसूस करने का, हर किसी का अपना अपना अंदाज है इसे बयां करने का मगर फिर भी एक बात जिसे सभी मानते है, प्यार त्याग है , प्यार विश्वास है प्यार सच है ।
प्यार जिसकी कमी जीवन को वीरान और उपस्थिति बहार बना देती है। प्यार जो कि कम या ज्यादा नही होता, प्यार सच्चा या झूठा नही होता , प्यार खोने या पाने का नाम नही होता, प्यार सिर्फ किया जाता है ।
प्यार जो विश्वास से शुरु होता है , विश्वास के साथ ही बढ्ता है , अक्सर विश्वास टूटते ही खत्म भी हो जाता है , हम अक्सर प्यार को जरूरत समझ बैठते है , जिसे हर कीमत पर पूरा ही करना चहते हैं, और यदि किसी कारणवश यह पूरा ना हो हो हम प्यार को अगले ही पल धोखे का नाम दे डालते हैं, हमारा दिश्वास एक ही पल में दम तोड देता हैं । उस पल हम सामने वाले की विवशताओं को समझने की थोडी सी भी कोशिश नही करते। जरा सोचिये यदि यही काम राधा ने किया होता, कृष्ण जी को धोखेबाज कह दिया होता तो क्या आज राधा युगों बाद भी वंदनीया होती? क्या आज भी लोग हीर रांझा को याद करते? क्या आज भी लोग प्यार के लिये शीरी फरियाद का उदाहरण देते ? क्या रोमियो जूलियट का नाम आज तक प्यार के इतिहास में दर्ज होता?
प्यार का मतलब अपनी नही अपने साथी की खुशी है,इस विश्वास के साथ की वह भी हमारे लिये ऐसा ही सोचता है .......................
यही सोच है मेरी प्यार के प्रति, आप क्या सोचते हैं क्या समझते है? जरूर बताइयेगा...
आप सभी का जीवन प्यार से परिपूर्ण रहे , प्रेम पर्व पर यही मेरी शुभकामना है............
युग बदले मौसम बदले,
बदले जीने के रंग ढंग ।
बदला नही गर कुछ जहाँ में,
तो नही बदले प्यार के रंग ।
वक्त बदले हालात बदले,
बदलते रहे जमाने के चलन ।
बदल नही सका जो जहाँ में,
नही बदला प्यार का चलन ।