रिया और
समीर मूवी देखकर लौट रहे थे, कि अचानक रिया की नजर सडक से लगी हुई एक नर्सरी पर पडी।
उसे और समीर दोनो को ही पेडों का बहुत शौक था, मगर अभी तक वो एक छोटे से फ्लैट में
रहते थे, जिससे पेड पौधे लगाने का अरमान बस सोच ही बन कर रह गया था। उसने समीर से कहा-
सुनो, देखो कितने सुन्दर पेड दिख रहे है, ले चलते हैं ना दो चार। समीर- अभी नहीं यार,
फिर कभी, और फिर तुम नौकरी करोगी या ये बागवानी करोगी। रिया- प्लीज, ले लेते हैं न,
मै कर लूगीं, और फिर घर में अब तो माँ बाबू जी भी है, उनका भी थोडा टाइम कट जाया करेगा।
समीर ने मुड कर देखा, फूल वाकई सुन्दर थे, हंस कर बोला- ठीक है जनाब, वैसे भी मैडम को नाराज करके कहाँ जाऊंगा । नर्सरी में कई सुन्दर
सुन्दर फूलों के पेड थे, दोनो, दो चार पेडों का सोच कर गाडी से उतरे थे, मगर अब गाडी में दस पेड थे।
अभी दस-
बारह दिन ही बीते थे कि एक एक करके सारे पेड मुरझाने लगे थे। रिया समीर क्या घर के
बाकी लोगों की भी खुशी उड गयी थी, समीर की माँ ने कहा- नर्सरी वाले ने तुम दोनो को ठग लिया,
तुम लोगों को पेड फूल की कोई पहचान तो है नही, अरे लाना भी था तो एक दो लाते, लाये
भी तो एक साथ दस उठा लाये। पिता जी ने कहा- ऐसा करो उस नर्सरी वाले जाकर बताओ, कि उसके
सारे पेड मुरझा गये हैं, पैसे तो वो क्या ही वापस करेगा, हो सकता है एक दो पेड दे दे।
रिया और समीर ने गुस्से में सारे पेड गाडी में रखकर नर्सरी पहुंचे।
अभी उन्होने
मुरझाये हुये पेड दिखाये ही थे कि नर्सरी वाला उन पर नाराज होने लगा- जब आप लोगों को
पेड लगाने ही नहीं आते तो ले जाने की क्या जरूरत है, मगर आज कल तो बस लोग फैशन में
ले जाते हैं। रिया और समीर उसके इस व्यव्हार से हतप्रभ थे। उन्हे समझ नही आ रहा था
कि वो उल्टा उनकी गलती क्यों दे रहा है, शायद वो पैसे वापस न देने पड जाय इस कारण से
ऐसा कर रहा है। मगर इससे पहले कि समीर कुछ कहता, उस नर्सरी वाले ने थोडा नरम होते हुये
कहा- बेटा, एक बात कहूं, ये पेड ना बिल्कुल बच्चे के समान होते हैं, ये कोई शो पीस
नही कि ले गये और सजा दिया। इनको ठीक समय पर खाद पानी देना पडता है, हर पेड की जरूरत
अलग अलग होती है, कोई कम पानी लेता है तो कोई ज्यादा, मोटा मोटा बोलूं तो सबकी खुराक
अलग होती है। रिया समीर अब कुछ कुछ समझ पा रहे थे।
रिया ने
बोला- काका मगर पानी तो हम रोज देते थे, फिर ये सब कैसे मुरझा गये।
नर्सरी
वाले काका बोले- बिटिया- दो बाते हो सकती हैं, या तो तुमने खडी धूप में इनको पानी दिया
है, या तुमने सीधा इनकी जडों पर कोई केमिकल खाद डाल दी है, जिससे ये सब जल गये।
रिया को
याद आया कि पेड जल्दी बडे हो जाय इसलिये उसने पेड लगाने के दूसरे दिन ही उनमें काफी
खाद डाल दी थी।
दुखी होते
हुये बोली- हाँ काका, वो हमको लगा इससे पेड जल्दी बडे हो जायेगें और खूब सारे फूल देंगें।
नर्सरी
वाले काका- यही तो बात है बिटिया, कि हम सब जल्दी जल्दी सब चाहते हैं, पेड लगाने का
शौक है तो बागबां बन के देखों। बच्चे की तरह प्यार से पालो पोसों, समय दो, एक जगह से
हट कर दूसरी जगह पनपने फलने फूलने में समय लगता है।
वैसे तो
पेड बेचने के बाद पेड बेचने वाले की कोई जिम्मेदारी नहीं होती, कि पेड बचा या फला,
मगर फिर भी मै तुमको दस तो नही, हाँ पाँच पेड दे देता हूँ, बस इसलिये कि तुम लोग ये
मुरझाये हुये पेड लेकर मेरे पास आये, तुम लोगों नें इन्हे उखाड नहीं फेंका, मुझे दिख
रह है कि तुम लोगों को पेडों से प्यार है बस ऊपरी शौक नही, ये और बात है कि प्यार करने
का तरीका तुम लोग नहीं जानते थे। फिर मुस्कुरा कर बोला- जाओ चुन लो अपनी पसन्द के पेड
और बागबां बनना सीखो।