क्या ये काफी नही कि
तेरा मुझसे कुछ और नही दिल का नाता है
क्या ये काफी नही कि
तुझ पर ही शुरू और खत्म होती है तलाश मेरी
क्या ये काफी नही कि
मेरी खामोशी को तुम शब्दों में बदल लेते हो
क्या ये काफी नही कि
मीलों की दूरी भी, हमे तुमसे दूर नही कर पाती
क्या ये काफी नही तेरे
साथ इक साये सा हमेशा मेरा अहसास रहता है
क्या ये काफी नही कि
तेरी आंखों मे चमक लाती है सफलता मेरी
क्या ये काफी नही कि
मेरे हर उलझे सवाल का जवाब तुम ही हो
क्या ये काफी नही कि
तुमपर ही आकर ठहरती है हर आरजू मेरी
क्या ये काफी नही कि
अपनेपन की परिभाषा तुमसे ही तो बनती है
क्या ये काफी नही कि
तेरी सांसों की आहटों मे बसी है धडकन मेरी
क्या ये काफी नही कि
तेरी पलकों के आशियाने में बसते है सपने मेरे
क्या ये काफी नही कि
दर्द की घडियों में इक चाह्त होती है सिर्फ तेरी
क्या ढाई लफ्ज जरूरी
है हमारी मोहब्बत की इबारत लिखने के लिये
क्या इक रिश्ते का
बन्धन ही कह सकेगा कि मै थी हूँ और रहूंगीं तेरी