प्रियवर तुमसे मिली मै ऐसे
जैसे सागर में मिलकर नदिया
पाकर तुमको लगा है ऐसे
जैसे मिल गयी है, सारी दुनिया.....
ना थी मेरी कंचन काया
ना हिरनी से थे नैना
फिर भी तुमने हार के सब
ढूँढे मुझमें अपने चैना
ना दो पल देखूँ तो, लगता ऐसे
जैसे बीत गयी कितनी सदियां
पाकर तुमको.....
मेरे हर अधूरेपन को
पूर्णता तुमने दे डाली
इस बंजर मन में लाये
तुम सावन बन हरियाली
हर ख्वाब मेरे साकार हुये
महसूस करूँ हर पल खुशियां
पाकर तुमको........