ओ वसू, यार एक कप बढिया सी चाय पिला दो, आज ऑफिस में बहुत थक गया हूं। ऑफिस से साथ आई वसू फटाफट हाथ पैर धुल किचन में चाय चढा अभी ऊपर अपने कमरे की तरफ चेंज करने बढी ही थी कि आवाज आई- बहू कल से दो दिन नही आयगी तुलसी, कह रही थी उसके मामा की बिटिया की शादी है। बोझिल मन और थके तन से वो केवल इतना ही बोल पाई- अच्छा मां जी।
अभी सासू और सुनील को चाय का कप दे ही
रही थी कि सुनील बोले क्या जी दो चार पकोडी छान लेती, बारिश के मौसम में पकौडी का अपना
ही मजा है। अच्छा कहती हुयी वसू अपना चाय का कप ले किचन की तरफ चल दी। वो जानती थी कि पकौडी का मतलब
एक और चाय है, ये सोच उसने दूसरे चूल्हे पर दुबारा चाय चढा दी।
तभी कमरे से आवाज आई – बहू मै कह रही
थी कि दो दिन के लिये तुम ऑफिस से छुट्टी ले लो, मेरे से नहीं संभलेगी तुम्हारी ये रसोई वसोई, ये पोछा वोछा। इससे पहले कि
मै कुछ कहती , सुनील मां की बात का समर्थन करते हुये बोले - अरे मां आप क्यों चिंता कर
रहीं है, वसू ले लेगी ना छुट्टी, आप तो बस आराम से पक़ौडिया खाइये, अरे वसू बन गयी क्या .........
और किचन से पकौडियां लाती हुयी वसू सोचने
लगी कि क्या वाकई अगले दो दिन उसकी छुट्टी है?