उसके सुर्ख होंठों ने
छुआ जो मेरे नाम को
आम से ये नाम भी
आज खास हो गया
हम वही हैं आज भी
वही लकीरें हाथ में
हाथ आया हाथ में
नसीब खास हो गया
दिन वही है उग रहा
शाम वो ही ढ्ल रही
डूबे तेरी चाँदनी में
चाँद खास हो गया
वही जमीं वही शहर
वही कदम वही डगर
साथ जब से वो चला
सफर ये खास हो गया
तलाश खत्म हो गयी
ख्यालों का नगर बसा
जुदा हुआ मै भीड से
शख्स खास हो गया
नजर को मेरी तू मिला
असर हुआ है कुछ नया
चमन हुये हो तुम मेरे
भ्रमर मै खास हो गया