उसके सुर्ख होंठों ने
छुआ जो मेरे नाम को
आम से ये नाम भी
आज खास हो गया
हम वही हैं आज भी
वही लकीरें हाथ में
हाथ आया हाथ में
नसीब खास हो गया
दिन वही है उग रहा
शाम वो ही ढ्ल रही
डूबे तेरी चाँदनी में
चाँद खास हो गया
वही जमीं वही शहर
वही कदम वही डगर
साथ जब से वो चला
सफर ये खास हो गया
तलाश खत्म हो गयी
ख्यालों का नगर बसा
जुदा हुआ मै भीड से
शख्स खास हो गया
नजर को मेरी तू मिला
असर हुआ है कुछ नया
चमन हुये हो तुम मेरे
भ्रमर मै खास हो गया
सुप्रभात.... आपकी रचना भी बहुत खास है बहुत अच्छा लिखा आपने
जवाब देंहटाएंओह ओह ...आजकल इतना सच सच क्यों लिख रही हैं आप...वह भी इतनी सुंदरता से
जवाब देंहटाएंखूब ।
जवाब देंहटाएंशानदार भावाभिव्यक्ति।
वाह वाह, बहुत खूब
जवाब देंहटाएंwah...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लेख है Movie4me you share a useful information.
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