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शनिवार, 28 सितंबर 2019

क्या होगा


ठहरे हुये पानी में
वो आग लगा देते हैं
बहती हुयी लहरों का
अंजाम भला क्या होगा

झुकती हुयी नजरों से
वो कयामत बुला लेते है
ऊठती हुयी निगाहो का
अंदाज भला क्या होगा

उलझी हुयी जुल्फो से
वो सुबह को शाम करते है
भीगे हुए गेसुओं से
मौसम भला क्या होगा

हल्की सी एक झलक से
वो तारों को रौशन करते हैं
अंजुमन में उनके आने से
चांद का भला क्या होगा

आहट होती है आने की
और बहारें पानी भरती है
ठहरेंगें जब वो गुलशन में
कयामत का भला क्या होगा

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