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शनिवार, 14 अप्रैल 2012

जब तुम दूर होते हो..............


आती साँसे दिल में तेरी यादें ले कर आती हैं

जाती साँसे आँखों से आसूं बनकर बह जातीं हैं॥

हर पल बीते लम्हों की दास्तां ले कर आता है

हर घडी मेरी किस्मत पर हँस कर चली जाती है॥

रात तुम्हारे ख्वाबों को सजा करके ले आती है

सुबह की पहली किरण फिर दूर तुम्हे ले जाती है॥

मुश्किल से भी फुरसत का इक पल नही मिल पाता है

तेरी राह तकते तकते ही सुबह से शाम हो जाती है॥

18 टिप्‍पणियां:

  1. अपर्णा ... तुम्हारी कविता पढ़कर एक ही बात कहूंगा
    भूलने की कोसिस में तुम और याद आती गई
    हवा तो कम हुई , मगर बारिस बढती गई //

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  2. बहुत सुन्दरता से प्रकट किये गए भाव |||
    आभार ||

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  3. बहुत सुंदर कविता और मुझे तो बहुत ही पसंद आई शुभकामनायें अपर्णा दी

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  4. दूरियाँ यादों को उद्वेलित कर देती हैं।

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  5. हर घडी मेरी किस्मत पर हँस कर चली जाती है॥
    रात तुम्हारे ख्वाबों को सजा करके ले आती है

    बहुत सुंदर रचना...बेहतरीन पोस्ट
    .
    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....

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  6. फिर भी राह ताकना नहीं छोड़ा जाता ... इसी को तो प्यार कहते हैं ...

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  7. प्रेम में विछोह , अभिव्यक्ति का एक सशक्त कारक रहा है . भक्तिकाल की गोपियों से लेकर आधुनिक काल की कविताओ में विछोह स्थाई भाव की तरह मिल जाता है, इस कविता में प्रियतम से दूर नायिका के मनोभाव को सूक्ष्मता से दर्शाया गया है ,मनोहारी पंक्तियाँ आह्लादित करती है . सुँदर .

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  8. बस यही यादें और इंतज़ार .... अच्छी प्रस्तुति

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  9. मुश्किल से भी फुरसत का इक पल नही मिल पाता है


    तेरी राह तकते तकते ही सुबह से शाम हो जाती है॥
    very nice....

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  10. बस यादें यादें ,यादें ही तो रह जाती है ताउम्र रुलाने और हँसाने के लिए इंसान के जीवन में ये न होतो बोलो फिर क्या यह ज़िंदगी है।

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  11. विरह का सुन्दर वर्णन.........

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  12. मुश्किल से भी फुरसत का इक पल नही मिल पाता है
    तेरी राह तकते तकते ही सुबह से शाम हो जाती है...वाकई बहुत ही सुन्दर

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  13. रात तुम्हारे ख्वाबों को सजा करके ले आती है

    सुबह की पहली किरण फिर दूर तुम्हे ले जाती है॥

    वाह! वह !!

    सुन्दर रचना !!

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  14. अपर्णा जी,
    नमस्ते!
    खूबसूरत इंतज़ार!
    आशीष
    --
    द नेम इज़ शंख, ढ़पोरशंख !!!

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