रजनी
सोच रहा हूँ इस बार राखी पर दीदी के लिये कोई अच्छी सी साडी ले आते हैं, क्यों तुम्हारा
क्या ख्याल है। आप भी ना घर कैसे चला रही हूँ इसका तो कोई ध्यान नही बस आपको दीदी के
अलावा कुछ सूझता ही कहाँ है? अब साडी का मतलब कम से कम हजार रुपये, अरे मै कहती हूँ
जब १०१ से काम चल जाता है तो इस खर्च की क्या जरूरत, एक बार दे दोगे तो हर बार का ही
हो जायगा और ज्यादा ही मन कर रहा है तो २०१ दे देना। फिर तुम्हारी दीदी भी आखिर क्या
ले कर आती है वही बेसन के लड्डू वो भी घर से बना कर , बीच मे ही रोक कर अनय ने कहा,
मगर वो ही मुझे पसन्द है तुम भी तो जानती हो मुझे और कोई मिठाई पसन्द ही नही, मगर रजनी
कहाँ कुछ मानने वाली थी, हाँ ठीक है मगर मेरे लिये तो कुछ ला ही सकती हैं कह कर वो
रसोई में चली गयी, और अनय बेमन से आफिस के लिये तैयार होने चल दिया । आफिस मे भी आज
अनय का मन नही लग रहा था, सोच रहा था क्या फायदा इतने हाई पैकेज की नौकरी करने का,
जो मै अपनी दीदी के लिये एक साडी भी नही खरीद सकता, वो दीदी जो हमेशा मेरी खुशियों
के लिये पापा जी से छुप कर मेरे लिये बपपन में चाकलेट, बैट बॉल और ना जाने क्या क्या
ला दिया करती थीं, मेरी हर छोटी छोटी खुशी को पूरा कर देती थीं, और सोचते ही सोचते उसने
रजनी को फोन कर दिया - रजनी ऐसा करना दीदी को फोन कर देना कि कल राखी पर ना आयें, मुझे
आफिस के काम से तीन दिन के लिये बाहर जाना है, हाँ मेरा बैग पैक कर देना मुझे तुरन्त
ही निकलना होगा। मै कहूँगा तो शायद ठीक ना लगे, अब तुम ही बताओ आफिस का काम वो भी टूर
छोडा तो नही जा सकता ना जिसमें चार पैसे बनने की उम्मीद होती है। आप चिन्ता ना करो
मै दीदी से कह दूंगी । और फिर उसने दूसरा फोन अपनी दीदी को किया- दीदी इस बार राखी
पर आप नही मै आ रहा हूँ , आप तो बस मेरे लड्डू बना दो । उसने घडी देखी ५ बजने वाले
थे, फटाफट वो घर के लिये निकला , अभी उसको अपनी दीदी के लिये साडी भी तो लेनी थी और
समय से घर भी पहुँचना था।
राखी का बन्धन सारी उहापोहों से ऊपर होता है..
जवाब देंहटाएंक्या खूब,
जवाब देंहटाएंभाई बहन का प्यार ऐसा ही होता है
बिल्कुल सच्चा !
राखी- प्रतीक है भाई बहन के स्नेह का...........
जवाब देंहटाएंRECENT POST,,,इन्तजार,,,
सच को दिखाती है....एक पत्नी ये भूल जाती है कि वो भी किसी की बहिन है....
जवाब देंहटाएंजय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
राखी का त्यौहार, रिश्तों में खुशियाँ लेकर आता है.... राखी पर मैंने भी एक ग़ज़ल लिखी है...
जवाब देंहटाएंराखी तो बहन भाई की जज़्बात-ए-निशानी है
फूलों सी महकती हुई प्यारी सी कहानी है
सही फैसला ...वाकई मे भाई बहन के रिश्ते मे कोई और फैसला क्यों करे......
जवाब देंहटाएंसुन्दर परम्परा .
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कहानी है | हमारें यहाँ अक्सर ऐसा होता है एक बहन दूसरी बहन के बारे में यही सोचती है ,जबकि इन्हें खुद मालूम है की भाई बहन का प्यार ऐसा ही होता है |
जवाब देंहटाएंकल 02/08/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
thanks yash,
हटाएंwish you a very happy "rakhee"
पहले घर में , प्रवेश करते ,
जवाब देंहटाएंएक मैना चहका करती थी
चीं चीं करती, मीठी बातें
सब मुझे सुनाया करती थी
जबसे वह विदा हुई घर से, हम लुटे हुए से बैठे हैं !
टकटकी लगाये रस्ते में , घर के दरवाजे बैठे हैं !
राखी ...
हटाएंदेखने में तो एक धागा का तुद्का है लेकिन रिश्तों की गहन पोटरी लिए हुए //
स्वस्थ रहो बहन
बहुत सुन्दर प्यार भरा है ये भाई - बहन का प्यारा रिश्ता ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लगी आपकी यह पोस्ट
रक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
:-)
बहुत ही अच्छी कहानी... आपको रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ !!!
जवाब देंहटाएंना जाने भाभियाँ क्यूँ चिढती हैं बहनों से वो भी तो किसी की बहन ननंद होती हैं ऐसे में पति बेचारा बीच में पिस कर रह जाता है घर में शान्ति बनाए रखने के लिए बहुत कुछ सहता है किन्तु बहुत कम बीच का रास्ता निकाल लेते हैं इस कहानी के हीरो की तरह यह लेन देन की भावना इन पवित्र परवों को भी धीरे धीरे डसती जा रही है बहुत प्यारी कहानी है
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