मोहब्बत का दावा वो करते रहे
करता कतरा वो हमको छलते रहे ।
हंसी होठों से जाती रही धीरे धीरे
बंजर दिल पे जख्म आँसू बन बरसते रहे ।
सच्ची चाहत को दिल ये तरसता रहा
यूँ तो हर मोड पे दिलजले मिलते रहे ।
रफ्ता रफ्ता ये वक्त यूँ ही गुजरता रहा
हम जिन्दगी भर जिन्दगी को ढूँढते रहे ।
दो घडी वो रूक जाते हमारे लिये
ऐसा अरमान बस दिल मे पलते रहे ।
ना रूके वो कभी और ना लम्हे रुके
हम ही बस बेबजह यूँ ही चलते रहे ।
वाह !! बहुत बढ़िया,सुंदर गजल !
जवाब देंहटाएंRECENT POST : मर्ज जो अच्छा नहीं होता.
बहुत सुंदर प्रस्तुति.!
जवाब देंहटाएंRECENT POST : पाँच दोहे,
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंदो घडी वो रूक जाते हमारे लिये
जवाब देंहटाएंऐसा अरमान बस दिल मे पलते रहे ...
कई बार खुद ही तेज चलना होता है .... कोई किसी के लिए नहीं रुकता ...
गज़ब के शेरों से सजी लाजवाब गज़ल ...
बहुत ही सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंRADHEY RADHE
जवाब देंहटाएं