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सोमवार, 24 अगस्त 2020

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मिल जाता है

जन्म के साथ ही

बहुत कुछ By Default

लडकी के हिस्से आती है

सहनशीलता, ममता, त्याग 

और घर की इज्जत 

लडके को मिल जाती है

घर जायजाद की चाभी

कुछ भी करने की आजादी

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समय के साथ, पलते बढते है दोनो

और इस बढते बचपन से

कुछ और मिलता है By Default

अब तुम बडी हो रही हो,

अब तुम बच्ची नहीं रही

ये लडको सी घूमती फिरना सही नही

जैसे जुमलों की पोटली

मिलती है

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समय चक्र घूमता रहता है

देता रहता है समय समय पर

कुछ और By Default

युवावस्था की दहलीज भी

खाली हाथों नही मिलती

देती है वो भी

हर वक्त सतर्क रहने की जिम्मेदारी

समाज की घूरती निगाहें,

वक्त पर घर आने की पाबंदी

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और लडकों को मिल जाता है लाइसेंस

मौज मस्ती के नाम पर

कुछ भी करने का

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विदाई भी जानती है अपना कर्तव्य

रिश्तों के नये संसार के साथ

मिलता है परायापन

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दो घरों के नाम पर

मिलता नही एक भी घर

हाँ मिल जरूर जाते है

कुछ व्रत By Default

सदा सुहागन रहो

जोडी बनी रहे

तुम्हारा सुहाग अमर रहे

जैसे हर आशीर्वाद के साथ

मिलता है पति को 

आशीर्वाद By Default

घर में आता है जब

नन्हा मेहमान

सारा आंगन चहक उठता है

सबको देता है अपार खुशी

माँ को विशेष रूप में देता है

निजी कार्यकलापों की जिम्मेदारियां

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स्त्री चाहे घरेलू हो या कामकाजी

रसोई मिलती है उसे

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सडक पर भिडती है

अचानक से दो गाडियां

एक से निकलती है औरत

दूसरे से उतरता है आदमी

भीड से आती है आवाज

उफ ये औरतें क्यों चलाती हैं गाडियां

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देर रात घर लौटे बेटे को

सहानुभूति

और

स्त्री को मिलती है

प्रश्नों से भरी निगाहें

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स्त्री को लडना है भिडना है

टकराकर आगे निकलना है

इसी By Default से

कि जानती है वो

आखिरकार शक्ति का बिम्ब है वो

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और बदलना है उसे ही ये

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1 टिप्पणी:

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