प्रशंसक

रविवार, 26 सितंबर 2021

हैप्पी डॉटर्स डे


सुबह सुषमा ने अपने व्हाट्स अप पर डॉटर्स डे पर फोटो अपलोड की। अभी उसने फोटो अपलोड की ही थी कि उसकी बेस्ट फ्रेंड निशा का कॉल आया । 

सुषमा- हैलो निशा कैसी है? 

निशा-  हाय, मै ठीक हूं( उसकी आवाज में थोडी चिंता के स्वर सम्मिलित थे)| मैने तेरी डीपी देखी, सोचा इससे पहले और लोग देखे, मै तुझे बता दूं कि आज  तो डॉटर्स डे है, संस डे नही जो तूने यथार्थ के साथ अपनी फोटो लगाई  और फेस बुक पर भी तूने यही फोटो अभी पोस्ट की, और मैसेज में लिखा हैप्पी डॉटर्स डे। 

इसका क्या मतलब हुआ? 

लोग हंसेंगें कि तूने डॉटर्स डे पर बेटे के साथ फोटो शेयर की है।

सुषमा- ओह मेरी प्यारी सखी, मै जानती हूं तू मेरे लिये कितना सोचती है और मै  ये भी जानती हूं कि आज डॉटर्स डे है, संस डे नही।

निशा - फिर तूने हैप्पी डॉटर्स डे मैसेज के साथ अपनी और यथार्थ की फोटो क्यूं लगाई?

सुषमा - चल एक बात बता मुझे, क्या परी को तू कभी बेटा नहीं कहती।

निशाँ -हां  कहती हूं, मगर तू कहना क्या चाहती है?

सुषमा - कुछ नहीं , बस यही कि जब हम लोग बेटियों को प्यार से बेटा कहते नही थकते, या जब हम लोगों को ये बताना होता है कि हम बेटे बेटी में कोई फर्क नही करते तब तो हम बडे गर्व से कहते हैं कि ये तो मेरा बेटा है। या जब हमे लगता है कि हमारी बेटी समाज में हर वो काम करने में सक्षम है जो कल तक केवल बेटे करते थे।

तो क्या गलत हो गया जो मै अपने बेटे को अपनी बेटी की तरह भी देखती हूं, मेरे यथार्थ ने कभी मुझे यह अहसास नही होने दिया कि मेरे साथ एक सहेली की तरह दुख सुख बांटने वाली बेटी नही। वो वैसे ही रसोई में मेरा हाथ बंटाता है जैसे बेटियां हाथ बंटाती है। वो वैसे ही मेरे साथ वैसे ही शॉपिंग करता है जैसे बेटियां करती है। तो क्या हुआ अगर मै अपने बेटे में अपनी बेटी भी देखती हूं।

और हां मेरी प्यारी सखी, ये फोटो मैने किसी के लाइक, कमेंट्स के लिये नही अपलोड की, ये तो सिर्फ मेरी बेटी के लिये है। हां परी को मेरी तरफ से हैप्पी डॉटर्स डे बोलना। और जान ले  मै संस डे पर परी को भी विश करूंगी कह कर सुषमा हल्का सा मुस्कुरा दी।

निशा- सुषमा तू सच में हमेशा से अलग थी, मुझे फक्र है कि तू मेरी दोस्त है।  यथार्थ को मेरी तरफ से भी हैप्पी डॉटर्स डे।

7 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (27-09-2021 ) को 'बेटी से आबाद हैं, सबके घर-परिवार' (चर्चा अंक 4200) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

    जवाब देंहटाएं
  2. सच कहा जब हम बेटी को बेटा कह सकते है तो बेटे को बेटी क्यों नहीं।
    बहुत ही सुंदर सराहनीय लघुकथा।
    सादर

    जवाब देंहटाएं

आपकी राय , आपके विचार अनमोल हैं
और लेखन को सुधारने के लिये आवश्यक

GreenEarth