फर्क तो है बस जरा सा, मगर बडी बात है
बडे हमारे साथ होते या हम बडों के साथ है
छोटे हैं प्यार के लिये, वही शोभता है उन्हे
मकां वही घर बना, जहाँ बडों का हाथ है
नर्क और स्वर्ग का फर्क बस इनसे ही है
बडों की छावं के बिना अधूरी हर बात है
बरगद है ये बुजुर्ग और बेल है हम युवा
साथ मे इनके ही तो जिन्दगी का राग है
क्या भला दे पायेगें, जीवन के दाता है ये
हर सांस पर हमारी, इनका भी अधिकार है
भाग्य से ही मिलती, ओट छोटो को बडो की
हीरे मोती सब ही झूठे, अनूठी ये सौगात है
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sarthak post badhai
जवाब देंहटाएंकौन मंदिर की लाइनों में लगे !
जवाब देंहटाएंमैं तो अम्मा को याद रखता हूँ !
घेर के बुजुर्ग भगवान् हैं ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबूढ़े बरगद के वल्कल पर सदिओं का इतिहास लिखा है
बूढी मा के आँचल पर कितना प्यार मधुमास लिखा है
वाकई..बुजुर्गों के कारण ही हमारे ऊपर छत है..और इनकी छाया में ही है असल जीवन का वृक्ष पल्लवित होता है।
जवाब देंहटाएंBahut sunder prastuti...... !!
जवाब देंहटाएंनर्क और स्वर्ग का फर्क बस इनसे ही है
जवाब देंहटाएंबडों की छावं के बिना अधूरी हर बात है
बरगद है ये बुजुर्ग और बेल है हम युवा
साथ मे इनके ही तो जिन्दगी का राग है
बहुत सुन्दर !
बहुत बढ़िया ! दिल से लिखी है !
जवाब देंहटाएंGreat poem :)
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