सुनो, सुन तो रहे हो ना
मुझे तुमसे बहुत कुछ
कहना है
छोड दो ना थोडी देर देर
के लिये
ये लैपटाप, ये मोबाइल,
ये कागज
याद भी है तुम्हे
कब से तुम्हारे पास तो
हूँ
मगर साथ बिल्कुल भी नही
कभी मेरा चेहरा देखकर
होती थी तुम्हारी सुबहें
अब रात भर, मै नही
साथ होती हैं, तुम्हारी
फाइलें
मगर आज कुछ पल के लिये
ही सही
बन जाओ मेरे सिर्फ मेरे
हाँ हाँ जानती हूँ
बहुत व्यस्त हो तुम
एक एक मिनट है
बहुत कीमती
जैसे कभी हुआ करता था
कीमती एक एक पल मिलन का
कैसे बचाते थे एक एक
घडी
और चाहते थे अधिक से
अधिक
मेरे साथ होना, मेरे
पास होना
दूरियों में भी होते थे
हम बहुत नजदीक
सुन लेते थे एक दूसरे
की धडकनें
तुम्हे याद है वो पल
मिले थे जब तुम हमसे
क्या याद है तम्हे
अपना पहला संवाद
क्या याद वो पहली धडकन
दिया था जिसने बेचैनी
को सुकं
क्या याद है वो पीपल
जिसकी छनती धूप में
हमारी परछाइयां
हो गयी थीं एक
याद कर सको तो याद करके
देखो
वो सारे लम्हे, वो सारी
बातें
यकीं है मुझे आज भी
गुदगुदा देंगें ये
तुम्हारा मन
खिल जायेगी फिर से वो
हसी
जिसे तुमने रख दिया है
कही तहा कर
फिर से चाहेगा मन जीना
जिसे कहते है सचमुच में
जीना
क्या हुआ जो खडे हैं हम
तुम
ढलती शाम के साथ
क्या हुआ जो दे रहीं
हैं दस्तक
झुर्रियां चहरों पर
रहने दो ना उन्हे
सीमित तन तक
मन तो है ना
आयु के बन्धन से मुक्त
तुमने ही तो सुनाया था
मुझे
कालेज के विदाई समारोह
में
न उम्र की सीमा हो
ना जन्म का हो बन्धन…….
पूंछोगे नहीआखिर का हुआ है आज
जो पलटना चाह रही हूँ
अतीत के स्वर्णिम पन्ने
क्या मैं भूल रही हूँ अपनी उम्र
नही बिल्कुल भी नही
मगर चाह्ती हूँ कि
तुम्हे याद दिला दूँ
हर वो पल जो भूल गये हो तुम
अपने जाने से पहले
कही ऐसा न हो
जब चाहो तुम यह सब याद करना
और तुम्हे कुछ याद ही न आयें
--------- तुम्हारी प्रेमिका, तुम्हारी पत्नी
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार १५ नवंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
भावनाएं जो मुखरित हो रही है हर संवाद में बहुत सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय
जवाब देंहटाएंमन में गहराई तक उतरती भावप्रवण पंक्तियाँ !
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंभावप्रवण पंक्तियाँ !
जवाब देंहटाएं