प्रशंसक

शनिवार, 18 सितंबर 2021

कौन जाने

 

दुआयें कब असर दिखायें, ये कौन जाने

कहर आहों का क्या ढाये, ये कौन जाने

रश्क करते हैं लोग, जिनके मुकद्दरों पर

दर्द कितने उनके दामन में, ये कौन जाने

झूम रही लौ अलमस्त, संग मस्त हवाओं के

उम्र चिराग की मगर कितनी, ये कौन जाने

वादा तो कर दिया उसने, साथ चलने का

वक्त ए राह क्या रंग दिखाये, ये कौन जाने

मुस्कुराते चेहरे अक्सर, हिजाब से ही लगे

जख्म कितने दफन दिल में, ये कौन जाने

दुश्मनों से भी मिला करिये जरा दोस्ती से

सांप आस्तीन से कब निकलें, ये कौन जाने

ख्वाब देख लो मगर, उसका चर्चा न करो

दिल कितने खाक हो जाय, ये कौन जाने

मोहब्बत कुछ नही, है जिंदगी का जुआ

मांझी पार लगाये या डुबाये,ये कौन जाने

ना डूब यूं, गमो फिक्र के सागर में पलाश

लहर कौन सी खुशी दे जाये, ये कौन जाने

4 टिप्‍पणियां:

आपकी राय , आपके विचार अनमोल हैं
और लेखन को सुधारने के लिये आवश्यक

GreenEarth