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रविवार, 15 फ़रवरी 2015

क्या हो तुम........



तू ही दर्द मेरा, हमदर्द मेरा
शामें तू ही, सबेरा भी मेरा................

मिलकर ही तो, मिल पाये हम
जीवन के सुनहले रंगों से।
क्या धूप है औ छाया है क्या
जाना तेरे संग चलते चलते॥
तू ही मंजिल मेरी, रास्ता मेरा
कदम तू ही, साया भी मेरा
तू ही दर्द मेरा.................

खाली खाली से रहते थे
जब तक तुझको ना पाया था
सूने सूने से इस दिल में
उम्मीदों का घर ना बसाया था
तू धडकन मेरी, अरमान मेरा
ख्वाइश तू ही, मकसद भी मेरा
तू ही दर्द मेरा..............

सूरज चांद सितारे अम्बर
तुझसे ही रौशन होते है।
तेरी नजर के एक इशारे से
मौसम भी सुहाने होते हैं||
तू बरखा मेरी, भादौ मेरा
फागुन तू ही, अगहन भी मेरा
तू ही दर्द मेरा.............

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