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शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

Welcome 2017 "आज कोई नवगीत लिखूँ............"


मन कहता इस नववर्ष पर, आज कोई नवबात लिखूँ
भूल के सारे द्वेष सभी से, अपने मन का राग लिखूँ

बीते समय की सात तहों में, कुछ खट्टे कुछ मीठे पल हैं
जिन लम्हों में रोये हँसे, चाहे अनचाहे स्मरणीय कल हैं
सोच रही यादों के वन से, चुनचुन कर उल्लास लिखूँ
भूल के सारे द्वेष सभी से, अपने मन का राग लिखूँ

बदल रहे है लोग अगर तो, इसको सहज स्वीकार करो
निज में बिन कटुता लाये, उन सबका भी आभार करो
भाव जो अलिखित रहे, उनका शब्दों से सत्कार लिखूँ
भूल के सारे द्वेष सभी से, अपने मन का राग लिखूँ

आशा और निराशा साथी, दोनो ही गति अपने मन की
धूप छाँव के खेल खेलती, चंचल बदली हमसे जीवन की
मन की पीडा को कलम बना, औरो की मुस्कान लिखूँ
भूल के सारे द्वेष सभी से, अपने मन का राग लिखूँ

मन कहता इस नववर्ष पर आज कोई नवगीत लिखूँ
भूल के सारे द्वेष सभी से, अपने मन का राग लिखूँ

3 टिप्‍पणियां:

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