साथी तुम मेरी नींद
बनो
मै स्वप्न में तेरे
आउंगी।
इक बार तो मेरे कदम
बनो
हर राह में साथ निभाउंगी
सृष्टि में कुछ भी
पूर्ण नही
बिन गंध है पुष्प अधूरा
सा
दीप प्रज्जव्लित हुआ तभी
जब साथ मिला है बाती
का
तुम देखो तो बन बिन्दु
मेरा
मै आकार तेरा बन जाउंगी
इक बार तो मेरे कदम
बनो
हर राह में साथ निभाउंगी..............................
धरती पर लहलहायी फसल
जब अम्बर ने जल बरसाया
पूजा सबने उस चाँद
को तब
जब संसर्ग चाँदनी का
पाया
बनकर तो देखो तुम कल्पतरू
मै अभीष्ट भाग्य बन
जाउंगी
इक बार तो मेरे कदम
बनो
हर राह में साथ निभाउंगी..................................
कुछ भय तुमको भी घेरे
है
कुछ मेरा मन भी व्याकुल
है
कृष्ण से बिछडी राधा
हरपल
चुप सी गोकुल में आकुल
है
बंशी बन छेडो तो तान
कोई
नित राधा बन रास रचाउंगी
इक बार तो मेरे कदम
बनो
हर राह में साथ निभाउंगी.......................................* Thanks to Google for Image

Soooooo lovely post
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (12-03-2017) को
जवाब देंहटाएं"आओजम कर खेलें होली" (चर्चा अंक-2604)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक