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शनिवार, 27 जनवरी 2018

नवजीवन


बैठता हूँ तो घर पुराना याद हमको आ रहा हैं
अहसास हो रहा कि बुढापा पास मेरे आ रहा है
 
भीड भाड से भर गया मन, हुयी दावतों से बेरुखी
याद कर भूली बिसरी बातें, छा रही मन में खुशी
शरारते बच्चो सी करने को, दिल फिर चाह रहा है
अहसास हो रहा कि बुढापा पास मेरे आ रहा है
 
पॉप डिस्को पब की बातें, खास कु्छ लगती नही
डोसे पिज्जा बर्गर से मेरी, भूख अब मिटती नही
छोटू हलवाई का समोसा, फिर मुझे लुभा रहा है
अहसास हो रहा कि बुढापा पास मेरे आ रहा है
 
आसमां छूने चले और  छूट गया अपना ही आगन  
चलते चलते जाने कब छूट गया अपनो का दामन
ऐ जिन्दगी फिर से तुम्हे जीने आ दिन आ रहा है
अहसास हो रहा कि बुढापा पास मेरे आ रहा है
 
यारों के संग घूमना, दुनिया से हो्कर बेफिकर
सर्दी की रातों में छत पर, वो इन्तजार हो बेसबर
वो भूला नगमा रफी लता का जुबॉ पर आ रहा है
अहसास हो रहा कि बुढापा पास मेरे आ रहा है

बैठता हूँ तो घर पुराना याद हमको आ रहा हैं
अहसास हो रहा कि बुढापा पास मेरे आ रहा है

3 टिप्‍पणियां:

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