नही कहा जा सकता
हर हाड़ मांस वाले
दो हाथो और दो पाये वाले को
इंसान
और भी बहुत कुछ चाहिये
दो हाथों दो पैरों
पांच इन्द्रियों
और शेष वो सब
जिससे मिल कर बने ढाँचे को
सम्बोधित कर सकती है दुनिया
मानव योनि
मानव योनि
के अलावा
भले ही
मानव योनि में जन्म
होता हो
पूर्व कर्मों का फल
किन्तु मानव रचना को
इंसान कहलाने के लिये
गुजरना होता है
एक सतत प्रकिया से
बनना पड़्ता है वो कमल
जो रखता है
स्वच्छ स्वयं को
कीचड़ मे भी
नही होती प्रभावित रचं मात्र भी
उसकी कोमलता
उसकी सुगंध और
उसके सदगुण
भला कैसे कहा जा सकता है
हाड़ मांस वाले
दोपाये को इंसान
जिसके अंतर्मन में घर बना चुके हो
द्वेष, ईर्ष्या, दंभ
जिसकी सोच में हो कपट
जिसकें कर्म हो अमानवीय
और जिसके हदय में हो छल
वो पुष्प
जो आकार में कमल सा हो
किन्तु
उपजे हो नुकीले कांटे
आती हो दुर्गंध
पत्थर जैसी हो कठोरता
और
हो अंधेरें सा कालापन
नही कहलायेगा
कमल
नही चढेगा पूजा में
आकॄति के आधार पर
नही हो सकती गुणों की माप
अन्यथा
एक ही कहलाते
देव और दैत्य
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (14-05-2017) को "माँ है अनुपम" (चर्चा अंक-2970) ) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
जवाब देंहटाएंमानव हिंदी का शब्द है जिसे अरबी या उर्दू में इंसान कहते हैं.....
Neeti ji , Thanks
हटाएंBut here I used the term "Manav Rachna" and I think that a human body can be called as huamn when inside that humanity resides.
सटीक और गहन अंतर तक उतरती रचना ।
जवाब देंहटाएंउत्तम लेखनअपर्णा जी शुभकानाएं
जवाब देंहटाएंपूर्व जन्म की संकल्पना कोरी कपोल कल्पना जैसी लगती है ।
जवाब देंहटाएंबाकी जिसमें इंसानियत हो वो इंसान कहलवाए जाएंगे।
अच्छी रचना