हर रोज की तरह आज भी
शाम ढलते ही
रात आयी
धीरे धीरे
अपनी मुट्ठी बन्द किये
बडी बेसब्री से मिली उससे
कुछ न सूझा
बस गले लगा लिया
फिर धीरे से
पास जाकर कान में पूछा
क्या लाई हो
आज मेरे लिए
नींद या ख्वाब .........
रात चुप रही
कुछ भी न बोली
उसकी चुप ने
मुझे बेचैन कर दिया
मैने कहा -
कुछ तो कहो
क्या हुआ
आखिर क्यो हो परेशान
रास्ते में कुछ हुआ क्या
फिर कोई मिला क्या
अंधेरों का फायदा उठाने वाला
हौले से मेरे कंधे पर हाथ रख
रात कुछ गम्भीरता से बोली
नही कोई मिला तो नही
मगर
मै देख रही हूँ
सो रहे है लोग जागते हुए भी
सो गई है इंसान मेंं इन्सानियत
सो गया है उसका स्वाभिमान
सो गयी है नेक नियत
सो गया है देश समाज के लिये प्रेम
भाग रहे है सब सपनो के पीछे
सोते सोते
कैसे लाऊं ऐसे मे
मै नींद और ख्वाब
गर मैने भी सुला दिया सबको
तो सुलाना पडेगा ये देश
सदा सदा के लिए
जहाँ नही होगी गुंजाइश
ख्वाबों की
कि ख्वाब पूरा करने को तो
पडेगा जागना
इसलिए नही लाई कुछ भी
आज तेरे लिए
चलो आओ मेरे साथ
जगाए सोए लोगो को
ताकि हो सके सपने पूरे
उन लोगो के
जो सो गए हसते हसते
सदा के लिए
अपने प्यारे भारत की
सुकून की नींद और ख्वाब के लिए
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (27-05-2018) को "बदन जलाता घाम" (चर्चा अंक-2983) (चर्चा अंक-2969) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 27 मई 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है मज़ा आ गया
जवाब देंहटाएंवाह्ह्ह....। बहुत सुंदर रचना अपर्णा जी। जागता हुआ सुंदर ख़्वाब👌👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब....
जवाब देंहटाएंवाह !!!
बहुत सुंदर उच्च भावों का प्रदर्शन रचना के माध्यम से पर हिताय सोच।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन बुन्देलखण्ड की प्रतिभाओं को मंच देगा फिल्म समारोह : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता बहुत बहुत बधाई---!
जवाब देंहटाएं