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शनिवार, 19 जनवरी 2019

गुलाबी इश्क के पन्ने



वो महीन गुलाबी
इश्क के पन्ने
और उन पर लिखी
मोहब्बत की आयतें
बेशकीमती हीरे सी
रखी है सहेज कर
यादों की रुमाली
चादर की तहों में
वो पन्ने जिनमें
अल्फाज नही
लिखे हैं सिर्फ
नर्म गर्म अहसास
हर दिन पढती और
लिखती रहती हूं`
कुछ न कुछ
तुम्हारी ही जबान में
सच कितना आसान होता है
बयां करना 
मन में उमडते जज्बात
अहसासों की जुबां मे
एक और बडी प्यारी सी 
खूबसूरती है इसमें
नही करना होता 
किसी को इन्तजार
किसी के चुप होने का
न कोई गुंजाइश होती
ना समझी की
ना ही आडे आती है
लफ्जों की दीवार
दोनो खमोशी से
एक ही पल में
कहते सुनते और 
लिखते रहते हैं
गुलाबी इश्क के पन्ने
अहसासों की जुबानी

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (21-01-2019) को "पहन पीत परिधान" (चर्चा अंक-3223) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

    जवाब देंहटाएं
  2. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 20/01/2019 की बुलेटिन, " भारत के 'जेम्स बॉन्ड' को ब्लॉग बुलेटिन का सलाम“ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहद खुबसुरत रचना.
    सुना है यादों में मोहब्बत को बगल में बैठा लिया जाता है.
    स्वागत है ठीक हो न जाएँ 

    जवाब देंहटाएं

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