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शुक्रवार, 26 जुलाई 2019

ख्यालों में



वक्त काफी गुजरता है उनके ख्यालों में
कोई साथ रहने लगा, शहर-ए-ख्यालों में
रातें करवटें औ ख्वाब बदल रहे आजकल
वो जवाब बन आने लगा, मेरे सवालों में
जिक्र करना भी है, औ छुपाना भी सबसे
बेसबब नही तेरा आना, मेरी मिसालों में
चंद रोज की हैं मुलाकातें, उनकी अपनी
महसूस हुआ, जो होता नही है सालों में
रखते तो हैं ऐहतियात, इश्क पर्तो में रहे
उन्हे सोचा और आ गया दिल बवालों में
बैचैनियां तडपती है और सुकून मिलता है
कुछ अलग सा है ये हाल, गुजरे हालों मे
वो घडी कोई नही, कि हम नशे में न हो
अजब कशिश है उन निगाहों के प्यालों में
वक्त काफी गुजरता है उनके ख्यालों में
कोई साथ रहने लगा है शहर-ए-ख्यालों में

4 टिप्‍पणियां:

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