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बुधवार, 25 मार्च 2020

कुछ तो कर सकते ही हैं


दूर हैं तुमसे तो क्या 
खुशियां बांट तो सकते ही हैं

हाथ में हाथ नहीं तो क्या
साथ निभा तो सकते ही हैं

रात है लम्बी तो क्या
मसाल जला तो सकते ही हैं

हैं बंद जो घर में तो क्या
हौसला बढ़ा तो सकते ही हैं

ताले पड़े मंदिर में तो क्या
पुकार लगा तो सकते ही हैं

सब काम ढप है तो क्या
नेकियां कमा तो सकते ही हैं

फैल रही निराशा तो क्या
आस को उगा तो सकते ही हैं

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 26 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. सुन्दर सृजन।
    माँ जगदम्बा की कृपा आप पर बनी रहे।।
    --
    घर मे ही रहिए, स्वस्थ रहें।
    कोरोना से बचें

    जवाब देंहटाएं

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