मस्त निगाहों ने दिल, मस्ताना बना दिया
हमें साकी औ खुद को मैखाना बना दिया
वो दूर का
चांद सही, दूसरा
जहान सही
उसे पाने को जीने का, बहाना बना दिया
हमें किताब से,
अखबार पुराना बना
दिया
अंजान को अपना,
हमें बेगाना बना
दिया
उनकी दस्तक ने समां, सुहाना बना दिया
टूटे हुए डिब्बों को
मंहगा, ख़ज़ाना बना
दिया
ज़रा सी बात
का लोगों ने
फ़साना बना दिया
हकीम ए इश्क़ ने पलाश को दीवाना बना दिया