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शनिवार, 20 मार्च 2021

बना दिया

मस्त निगाहों ने दिल, मस्ताना बना दिया

हमें साकी औ खुद को मैखाना बना दिया  

वो दूर का चांद सही, दूसरा जहान सही

उसे पाने को जीने का, बहाना बना दिया

 ढली उम्र तो, कई रिश्ते नाते भी ढल गये

हमें किताब से, अखबार पुराना बना दिया

 ज़रा सा क्या दूर गये, उनके शहर से हम

अंजान को अपना, हमें बेगाना बना दिया

 जल रहा था रेत सा, ये दिल इश्क़ के बगैर

उनकी दस्तक ने समां, सुहाना बना दिया

 ये बचपन का हुनर है, या मासूमियत उसकी

टूटे हुए डिब्बों को मंहगा, ख़ज़ाना बना दिया

 हमने यूं ही मजाक में, कुछ उनसे कह दिया

ज़रा सी बात का लोगों ने फ़साना बना दिया

 दिले मासूम बेखबर था, तबियत मोहब्बत से

हकीम इश्क़ ने पलाश को दीवाना बना दिया

सोमवार, 15 मार्च 2021

रात भर

 


क्या जगाकर हमें वो, सो सकेगा रात भर

शमा बुझ गई अंधेरा अब, जगेगा रात भर

कर सका ना हौसल वो, कहने का हाले दिल

महफ़िल में ख्वाबों की अब, कहेगा रात भर

करी कोशिशें मना सका ना, रुठे सनम को

कदम भर की जुदाई ये दिल, सहेगा रात भर

मसरूफ हो किसी तरह, ये दिन गुजरा है

तनहाइयों का बिच्छू अब, डसेगा रात भर

क्यूं न एतबार किया दिलबर की बात का

अफसोस औ मलाल दिल करेगा रात भर

हर बात पहली मुलाकात की, याद आयेगी

सुबह की बाट देखता, अब रहेगा रात भर

 मगरूर हो, ना रोका जरा, जाते पलाश को

खत ना जाने कितने अब, लिखेगा रात भर


रविवार, 14 मार्च 2021

इक बार फिर

 


तुम नहीं आये लो, इक बार फिर

रही कसम अधूरी, इक बार फिर

सुन लेंगें कोई, नई मजबूरी तेरी

समझा लेंगें दिल, इक बार फिर

खुशियां ही दो तुम, जरूरी नहीं

थोडा सिसक लेंगें, इक बार फिर

की कोशिशें कई, न करें शिकायतें

कर बैठे शिकवे मगर, इक बार फिर

तेरी छुअन का जादू चला हम पर

खिल के फूल हुये, इक बार फिर

सोचकर बैठे थे, ना मानेगी पलाश

तेरी बातों में उलझे, इक बार फिर

सोमवार, 1 मार्च 2021

बहल जायेगा


वक्त मुश्किल है मगर, ये भी निकल जायेगा

रेत की तरह ये भी, हाथों से फिसल जायेगा


यकीं रखो तो जरा, आंच-ए- इश्क पर जानिब

वो संगे दिल ही सही, फिर भी पिघल जायेगा


नसीहतें मददगार बनें हरदम, जरूरी तो नहीं

ठोकरे पाकर ,वो खुद ब खुद ही संभल जायेगा


आज का दिन भले भारी है, तेरे दिल पे बहुत 

हौसला रख बुलंद, ये मुकद्दर भी बदल जायेगा 


याद करने से रोने से, कहाँ कुछ हासिल हुआ

करोगे कोशिशे तो, दिल खुद ही बहल जायेगा


खुशी से कर इस्तकेबाल, पलाश नई सुबह का

होते मियाद पूरी दिन, कुदरतन ही ढल जायेगा

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