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गुरुवार, 3 मई 2018

पलाश का पत्र- पाठ्कों केलिये

आप सभी के साथ अपनी खुशी बाँटते हुये और भी खुशी का अनुभव कर रही हूँ
पलाश आज एक छोटे ही सही किन्तु मुकाम पर पहुच गया, आज अगर उसकी पेज दॄश्य संख्या ६ अंको को और टिपणियों की संख्या ४ अंकों को छू सकी तो यह आप सभी के स्नेह और आशीष का परिणाम है।
मई ०३, २०१० को मैने यह ब्लाग अपनी पहली रचना “जीवन से परे” के साथ शुरु किया था। कैसे धीरे धीरे अपने मन के भावों को टूटे फूटे शब्दों का सहारा ले लिखती गयी और करीब ३०० रचनाओं को पलाश में जोड दिया पता ही नही चला।
मुझे याद आता है जब मेरी पहली रचना को चर्चा मंच पर प्रकाशित करने के सूचनार्थ टिप्पणी आयी थी। ब्लाग पर इस टिप्पणी देख कर मन मे जो आनन्द का उत्सव हुआ था, आज उसे शब्दों में नही व्यक्त कर सकती। इसे एक सुखद संयोग ही कहूंगी कि आज १००० वीं टिप्पणी भी पांच लिकों पर आनन्द पर रचना को सम्मिलित किये जाने की सूचना के साथ आयी। श्वेता सिन्हा जी आपका हार्दिक आभार।
आज का दिन शायद संयोगों का ही दिन है, आज पलाश ने अपने आठ वर्ष पूरे कर लिये।आज मेरे लिये खास इस दिन पर उन सभी बडों को नमन जिन्होने पलाश को अपना आशीर्वाद दिया। सभी ब्लाग मित्रों को धन्यवाद, जो समय समय पर पलाश को अपने अमूल्य सुझाव देते रहे।
आप सभी से इसी तरह चिरकाल तक यूं ही स्नेह एवं आशीष की आकांक्षा के साथ एक बार पुनः पलाश के सुधीपाठकों खास कर विदेशी पाठकों का जो हिन्दी और पलाश के साथ हैं, उन सभी का आभार
"पलाश"

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुत बधाई आपको अपर्णा जी,सदैव अपनी लेखनी की तूलिका से सुंदर और इंद्रधनुषी रचनाओं के चित्र उकेरती रहें, खूब यश और मान मिले तहे दिल से शुभकामनाएँ है मेरी स्वीकार करें।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (05-05-2017) को "इंतजार रहेगा" (चर्चा अंक-2961) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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