कुछ फर्ज निभाने है मुझको, कुछ कर्ज चुकाने हैं मुझको
प्रियतम मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ, बस कुछ पल थोडा धीर धरो
कुछ बन्धन मुझे पुकार रहे, खुलनी हैं कुछ मन की गाँठे
हर साँस में बसते हो तुम्ही, बस कुछ पल थोडी पीर सहो
कुछ साये तिमिर के घेरे हैं, मन में भय के कुछ पहरे है
ये कोरा मन तेरा ही है , बस कुछ पल हाथों मे अबीर धरो
कुछ बातें अभी अधूरी हैं, कुछ सुननी कहनी है जग से
ऐ मेरे दिल के अटल नखत, न खुद को नभ की भीड कहो
कुछ दहलीजे रोक रही मुझको, कुछ राहें रस्ता देख रही
विस्वास धरे पलकें मूंदें, बस कुछ पल तुम मेरे साथ बढो
कुछ खोने से मन डरता है, कुछ पाने को मन आतुर है
दिल में अजब बवंडर है, बस कुछ पल थोडी शीत सहो
प्रियतम मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ, बस कुछ पल थोडा धीर धरो