जिन्दगी,
जिन्दगी तब नही बनती
जब आई आई टी या आई आई
एम में
सेलक्सन हो जाता है
जिन्दगी
जिन्दगी तब भी नही बनती
जब कोई
आई ई एस अफसर बन जाता
है
जिन्दगी
जिन्दगी तो तब भी नही
बनती
जब कोई
देश विदेश घूम आता है
जिन्दगी
फिर भी जिन्दगी नही
बनती
जब कोई
बेसुमार धन दौलत पाता
है
जिन्दगी
जिन्दगी कहाँ बन पाती है
जब कोई
अधिकारी या राजा बन जाता है
सारी जिन्दगी
हम कवायत करते हैं
जिन्दगी को जिन्दगी बनाने की
मगर जिन्दगी नही बनती
फिर भी
सब कहते हैं
ये कर लो
तो जिन्दगी बन जायेगी
वो कर लो
तो जिन्दगी बन
जायगी
फिर भी
जिन्दगी, जिन्दगी
नही बनती
दरअसल
जिन्दगी,
जिन्दगी तब बनती है
जब जिन्दगी का कोई एक पल
किसी की जिन्दगी बन जाता है,
जब जिन्दगी के किसी पल में
पराई पीर पर दिल भर आता
है,
जब आपकी कोशिश से
रोता चेहरा खिलखिला
जाता है,
जब एक अजनबी आपको
खुदा मान सर
झुका जाता है,
जिस पल दूसरों की
जिन्दगी के लिये
कोई जिन्दगी की बाजी
लगा देता है।
जिन्दगी
जिन्दगी तब बनती है
जब
जिन्दगी का कोई एक ऐसा
पल
जब मिलता है जिन्दगी से
जिन्दगी
तब जिन्दगी
बनती है
हमेशा के लिये
अमर होकर जीती है
मृत्यु पर विजयी बन कर
वरना तो
हर कोई यहाँ
सिर्फ एक उम्र जीता है
जिन्दगी बनने की
प्रतीक्षा लिये
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज शुक्रवार (17-11-2017) को
जवाब देंहटाएं"मुस्कुराती हुई ज़िन्दगी" (चर्चा अंक 2790"
पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अच्छी सीख देती हुई रचना ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ।
सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय डॉ. अपर्णा त्रिपाठी जी। सादर आग्रह के साथ निवेदन है कि आप मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों -
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग का लिंक www.rakeshkirachanay.blogspot.com
हमेशा के लिये
जवाब देंहटाएंअमर होकर जीती है
मृत्यु पर विजयी बन कर
निशब्द... :) just want to say hats of to you mam.....
शहर से बाहर होने की वजह से .... काफी दिनों तक नहीं आ पाया ....माफ़ी चाहता हूँ..
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