लकड़ी से सहारे
भीड़ भरी
फुटपाथहीन सडक पर
किनारे किनारे
फुटपाथहीन सडक पर
किनारे किनारे
धीरे धीरे चलते
वृद्ध से
टकराता है
एक सत्रह अठारह साल का
मोबाइल पर वयस्त
मार्ड्न युवक
सडक के कुछ बीच
जा गिरती है
जा गिरती है
लाठी
बिखर जाती है
दूसरे हाथ में
बिखर जाती है
दूसरे हाथ में
मजबूती से पकडी
कुछ दवाइयां
लडखडा जाते है पैर
युवक हल्का सा रुकता है
उतारता है
रेबन के सन ग्लास
कट करता है कॉल
कानों से निकलता है
इयरफोन
झुक कर देखता है
रीबोक की जींस पर
शायद पड गये दवा के दाग
तभी याद आता है उसे
अपना कर्तव्य
या क्लास की शिक्षा
देखता है वृद्ध की ओर
बोलता है
आई एम सॉरी
संतुष्ट भाव से
कानों पर लगा इयर फोन
चल देता है
वृद्ध
करता है कोशिश
उठने की
कुछ संभल कर
उठाता है गिर गयी लाठी,
जो फंस गयी है
आती जाती कारों और बाइक के बीच
समेटता है
बिखरी दवाइयां
कुछ संभल कर
उठाता है गिर गयी लाठी,
जो फंस गयी है
आती जाती कारों और बाइक के बीच
समेटता है
बिखरी दवाइयां
और मुड़ जाता है वापस
अपनी नियत चाल से कुछ तेज
अपनी नियत चाल से कुछ तेज
वही सडक पर छोडकर
भावहीन सॉरी
कई तो सॉरी भी नहीं बोलते
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी रचना
We should responsible for other's, sorry isn't enough.
जवाब देंहटाएंरचना और रचनाकार को बधाई
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (29-11-2017) को "कहलाना प्रणवीर" (चर्चा अंक-2802) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आप सभी सुधीजनों को "एकलव्य" का प्रणाम व अभिनन्दन। आप सभी से आदरपूर्वक अनुरोध है कि 'पांच लिंकों का आनंद' के अगले विशेषांक हेतु अपनी अथवा अपने पसंद के किसी भी रचनाकार की रचनाओं का लिंक हमें आगामी रविवार(दिनांक ०३ दिसंबर २०१७ ) तक प्रेषित करें। आप हमें ई -मेल इस पते पर करें dhruvsinghvns@gmail.com
जवाब देंहटाएंहमारा प्रयास आपको एक उचित मंच उपलब्ध कराना !
तो आइये एक कारवां बनायें। एक मंच,सशक्त मंच ! सादर
सॉरी !! और हो गयी फर्ज की इतिश्री
जवाब देंहटाएं