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शनिवार, 19 जनवरी 2019

गुलाबी इश्क के पन्ने



वो महीन गुलाबी
इश्क के पन्ने
और उन पर लिखी
मोहब्बत की आयतें
बेशकीमती हीरे सी
रखी है सहेज कर
यादों की रुमाली
चादर की तहों में
वो पन्ने जिनमें
अल्फाज नही
लिखे हैं सिर्फ
नर्म गर्म अहसास
हर दिन पढती और
लिखती रहती हूं`
कुछ न कुछ
तुम्हारी ही जबान में
सच कितना आसान होता है
बयां करना 
मन में उमडते जज्बात
अहसासों की जुबां मे
एक और बडी प्यारी सी 
खूबसूरती है इसमें
नही करना होता 
किसी को इन्तजार
किसी के चुप होने का
न कोई गुंजाइश होती
ना समझी की
ना ही आडे आती है
लफ्जों की दीवार
दोनो खमोशी से
एक ही पल में
कहते सुनते और 
लिखते रहते हैं
गुलाबी इश्क के पन्ने
अहसासों की जुबानी
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