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शुक्रवार, 29 मई 2020

छोड़ देते हैं

किनारा कर लिया तुमने, 
तो जाओ छोड़ देते हैं
न हमको याद अब करना, 
तेरा दर छोड़ देते हैं।

तुम्हारी सांस में घुलकर, 
मिली थी जिंदगी हमको
तुम्हारे साथ लो अब ये, 
जहां भी छोड़ देते हैं
किनारा ....

तुम्हारे साथ में बीते, 
हुए पल अब सताते हैं
सफ़र मुमकिन नहीं आगे,
ये राहें छोड़ देते हैं 
किनारा ....

निगाहें दूर तक तुमको, 
बुलाने अब न आयेगीं
कदम दो चार क्या चलना, 
यहीं से छोड़ देते हैं
किनारा ....

हमारा रात भर जगना
तुम्हारा दिन ढले मिलना
सुहाने वो हंसी किस्से
अधूरे छोड़ देते हैं
किनारा ....

किनारा कर लिया तुमने, 
तो जाओ छोड़ देते हैं
न हमको याद अब करना,
तेरा दर छोड़ देते हैं।

सोमवार, 25 मई 2020

हम भी

इश्क़ की राह के, हमसफ़र हम भी हुये
तुम बने जो आसमान, चांद हम भी हुये

मुकम्मल हुए ख्वाब सारे, बाद एक मुद्दत के 
रौशनीं में तेरी आज, आफताब हम भी हुये

चुभते रहे न जानिए, कितनों की निगाह में
आपने जो थामा हाथ , गुलाब हम भी हुये

गुज़र रहे थे आम से, रात दिन बेज़ार से
हुई निगाह तुमसे चार, ख़ास हम भी हुये

बुझे हुए चराग से, हुआ किये थे कल तलक
घुली जो मुझमें तेरी सांस, साज़ हम भी हुये

सोमवार, 18 मई 2020

लोग

जग सारा इक मंजर पर, एक खौंफ है आंखों में
फिर भी मन मैले देखे, हमने लोगों की बातों में

कौन रहेगा कौन बचेगा, सवाल खड़ा दरवाजों में
फिर भी दिल छोटे देखे, हमने लोगों की बातों में

अखबारों के सारे काॅलम, लहू चीख से सने मिले
फिर भी झगड़े होते देखे, हमने लोगों की बातों में

सन्नाटा गहरा पसरा गया, गली मोहल्ले शहरों में
फिर भी डर लूटों के देखे, हमने लोगों की बातों में

भटक रहा कोई दर दर, सिसक रहा कोई सड़कों में
फिर भी चर्चे खोखले देखे, हमने लोगों की बातों में

कुदरत ने तो एक कर दिया, मुल्कों को, इंसानों को
फिर भी भेद पनपते देखे, हमने लोगों की बातों में

मंगलवार, 12 मई 2020

अजेय आस

घिर सकता, घनघोर तिमिर, 
निष्फल हो सकता प्रयास
डिग सकता, अडिग संयम, 
पर उम्मीदें खत्म नहीं होती

ना समय कभी कोई ठहरा, 
ना विजयी होता अंधियारा
ना संकट कोई अमिट रहा, 
ना साहस किसी काल हारा
हिल सकता, दृढ़ धीरज, 
पर दृढ़ता खत्म नहीं होती
डिग सकता, मन का संयम, 
पर उम्मीदें खत्म नहीं होती

बना नहीं वो आकाश जहां, 
ना पहुंच सकेगा उजियारा
धरा का ना कोई छोर जहां, 
बह सकती नहीं सर धारा
थक सकता, दुर्बल बदन, 
पर क्षमता खत्म नहीं होती
डिग सकता, मन का संयम, 
पर उम्मीदें खत्म नहीं होती

है जब तक जीवित मानवता, 
पृथ्वी जननी कहलायेगी
होगी परास्त विपदा समस्त, 
प्रकृति जयघोष सुनायेगी
गिर सकता, झड़ में वरक, 
पर टहनी खत्म नहीं होती
डिग सकता, मन का संयम, 
पर उम्मीदें खत्म नहीं होती

*वरक - पत्ता, झड़ -पतझड़, सर- जल

शुक्रवार, 8 मई 2020

विरह गीत

कहता हदय तुम पास मेरे,
ये नैन कहें, तुम दूर प्रिये
अधर इधर खामोशी से,
तकते रहते तेरी राह प्रिये

अनगित स्वप्नों की माला,
अविरल मैं बुनती रहती
प्रकरण अपनी यादों के,
अपलक मैं गुनती रहती
धैर्य धरे हम धीरज से,
करें मिलन की आस प्रिये
कहता हदय तुम पास......…..

पायल के गुंजित स्वर भी,
अब मद्धिम से होते जाते
आंखों के बहकते कजरे,
बहने को विकल हुए जाते
कह दो ज़रा इस बिंदिया से,
छोड़ें ना यूं विश्वास प्रिये
कहता हदय तुम पास......…..

इक सुखद स्वप्न सा लगता,
मुझमें तेरा मिल जाना
तपती जेठ की अग्नि में,
ज्यों हिम का घुल जाना
मिल तुमसे ये आभास हुआ,
तुम ही मेरी श्वास प्रिये
कहता हदय तुम पास......…..

बुधवार, 6 मई 2020

ईश वंदना

सुन कर विनती भक्तों की, हे ईश्वर अब तो आ जाओ
टूट रहा है धीरज सबका, कुछ तो आस बंधा जाओ

बिलख रहे सब नर नारी, ऐसी आई विपदा भारी 
देख तुम्हारी दुनिया को, जकड़ रही इक बीमारी
डूब रहा संसार तुम्हारा, अब नैया पार लगा जाओ
सुन कर विनती भक्तों की, हे ईश्वर अब तो आ जाओ

तुम करुणा के सागर हो, दुखियों की सुख गागर हो
हो पालनकर्ता भव भंजन, मीरा के गिरधर नागर हो
संकट में सन्तान तुम्हारी, निर्बल को बली बना जाओ
सुन कर विनती भक्तों की, हे ईश्वर अब तो आ जाओ

शरण पड़े प्रभु हम तेरी, तुम बिन कौन सुने मेरी
हम अज्ञानी मूरख जन, कर दो क्षमा गलती मेरी
हों उपकारी हितकारी, ऐसा सद्ज्ञान जगा जाओ
सुन कर विनती भक्तों की,हे ईश्वर अब तो आ जाओ
टूट रहा है धीरज सबका, कुछ तो आस बंधा जाओ

सोमवार, 4 मई 2020

नोट की कीमत

कौन कहता है
नोट की कीमत
करता है तय
उस पर लिखा नम्बर
उसकी कीमत करती है तय
जेब
दो अंकों का नोट
हो सकती है किसी की 
भूख
किसी के एक दिन का
पसीना
किसी की गिरवी रखी
आबरू
किसी का दम तोड़ता
बचपन
या किसी के लिए
रेस्टोरेंट की टेबल पर
छोड़ दी जाने वाली
टिप
कौन कहता है
नोट की कीमत
करता है तय
उस पर लिखा नम्बर
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