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रविवार, 11 सितंबर 2011

कभी- कभी तन्हाई भी भाती है .........


कभी कभी अकेलेपन का ,साथ भी मन को भाता है ।
तन्हाई में ही तो मन ,दिल की कही सुन पाता है ॥

एकान्त में इक अलग से, सुकून का अनुभव होता है । 
ऐसे में ही तो मन अपनी, अच्छाई बुराई गिन पाता है ॥

कुछ ऐसे पल जब हम, बस खुद के लिये जीते है ।
समझ आता है मन को कि, मेरा मुझसे भी इक नाता है ॥

कितने अनसुलझे रहस्यों की, ग्रन्थियां खुद-ब-खुद खुल जाती है ।
जीवन की नदिया को अक्सर, इक नया आयाम मिल जाता है ॥

उलझे से मन की हर इक, धुंधली धुंध तब छट सी जाती है ।

बीता वक्त चुपके से आ, जीवन का नव-स्वप्न बुन जाता है ॥

कभी कभी अकेलेपन का , साथ भी मन को भाता है ।
तन्हाई में ही तो मन , दिल की कही सुन पाता है ॥

शुक्रवार, 2 सितंबर 2011

दिल कहता है...........


दिल कहता है , देश मेरा आजाद होगा एक दिन
हर एक बुराई से
जाति धर्म की लडाई से
दिल कहता है .................

ना होगा कोई छोटा बडा
ना होंगे कुरीतियों के बन्धन
ना होगी आनर किलिंग
ना बिछडेंगें दो व्याकुल मन
दिल कहता है , देश मेरा आजाद होगा एक दिन
नफरत की आग से
खोखले रूढिवाद से
दिल कहता है ...................

सोच मे विस्तार होगा ,
प्रीत का व्यवहार होगा
नष्ट भ्रष्टाचार होगा
खेतों का विस्तार होगा
दिल कहता है , देश मेरा आजाद होगा एक दिन
असंतुलित पर्यावरण से
दहेज के  दूषित आवरण से
दिल कहता है ..........................

सोने की चिडिया फिर से देश होगा
नारी होना ना कोई दोष होगा
जय हिन्दी जय भारत जय जण गन
बस हर तरफ यही उद्घोष होगा
दिल कहता है , देश मेरा आजाद होगा एक दिन
महँगाई के भार से
घर घर होते दुराचार से
दिल कहता है ......................

दिल कहता है , देश मेरा आजाद होगा एक दिन
हर एक बुराई से
जाति धर्म की लडाई से
दिल कहता है .................


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