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बुधवार, 22 अप्रैल 2020

चिंतन काल

आज घर में हो 
तो ज्ञान बाहर आ रहा है
एफ बी, ट्वीटर पर
विद्वानों का कुम्भ छा रहा है
बरसों से बंद सद्विचार
बाहर निकाले जा रहे हैं
एक प्रतियोगिता सी चल रही है
स्वयं को कर्मनिष्ठ देशभक्त बताने की
मगर कल
जैसे ही ये बाहर निकलेंगें
ज्ञान घर के किसी कोने में
दबा कुचला पड़ा होगा
आज जो लोग पोस्ट कर रहे हैं
नदियां साफ हो रहीं हैं
आसमान नीला दिख रहा है
चिड़िया चहकने लगी हैं
प्रदूषण कम हो रहा है
चीनी चीजों और ऐप्स का
जोरशोर से बहिष्कार हो रहा है
कल वही लोग भूल जायेंगें
चार दिनों में, 
क्या क्या हुआ था
करोना काल में
दो - चार दिन सहम के निकलेंगें
थोड़ा संभल कर निकलेंगें
फिर बेधड़क हो पहले से और ज्यादा
करेंगें दुरुपयोग हवा पानी का
फिर खरीदेंगे चीनी सामान
फिर खेलेंगें टिक टैक
और फिर वही लोग 
बनकर सच्चे चिंतक
करेंगें पोस्ट
उफ कितना गन्दा हो गया
नदियों का पानी
आह, बढ़ गया फिर से 
प्रदूषण
अरे, गौरैया फिर हो गयीं
गायब
और फिर जुटेगी
विचारकों की भीड़
और प्रदूषित होगी 
वर्चुअल वाल
और चिरकाल तक
पल्लवित रहेगा
चिंतन काल

शुक्रवार, 3 अप्रैल 2020

शठे शाठ्यं समाचरेत्


बैरियों को मेरे देश में अब,
जीवन का अधिकार न हो
देशभक्तों पर जो ईंटें फेंके,
उसके शीश पर तलवार हो

गरीब असहायों पर हो दया ,
हर सम्भव हित उपकार हो
अवरुद्ध करें जो सत्य मार्ग,
उसे आजीवन कारागार हो

विपत्तियां अपने पांव समेटे,
ऐसा हम सबका आचार हो
धर्म आड़ में जो आग लगाये,
उसका हवन सरे बाजार हो

कोई न सोये भूखा प्यासा,
शुद्ध मन से परोपकार हो
मानवरूपी दैत्य असुरों का,
रण चण्डी बन संहार हो

सहयोग करें वीरजनों का,
ऐसा अपना आचार विचार हो
मानवता पर जो प्रहार करे,
घर उसका यम का द्वार हो
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