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शुक्रवार, 3 अप्रैल 2020

शठे शाठ्यं समाचरेत्


बैरियों को मेरे देश में अब,
जीवन का अधिकार न हो
देशभक्तों पर जो ईंटें फेंके,
उसके शीश पर तलवार हो

गरीब असहायों पर हो दया ,
हर सम्भव हित उपकार हो
अवरुद्ध करें जो सत्य मार्ग,
उसे आजीवन कारागार हो

विपत्तियां अपने पांव समेटे,
ऐसा हम सबका आचार हो
धर्म आड़ में जो आग लगाये,
उसका हवन सरे बाजार हो

कोई न सोये भूखा प्यासा,
शुद्ध मन से परोपकार हो
मानवरूपी दैत्य असुरों का,
रण चण्डी बन संहार हो

सहयोग करें वीरजनों का,
ऐसा अपना आचार विचार हो
मानवता पर जो प्रहार करे,
घर उसका यम का द्वार हो

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