प्रशंसक

बुधवार, 29 सितंबर 2010

अयोध्या की गुजारिश

ना मुझे मन्दिर की हसरत ,
ना मुझे मस्जिद की ख्वाइश ।
बाँट ना बस हिन्द को अब ,
मेरी इतनी सी गुजारिश ॥

रक्त का चन्दन मेरे,
माथे का कलंक बन जायगा ।
चादर चढाओगे मुझपे जो ,
कफन वो मेरा कहलायेगा ॥
घर किसी का उजडे जिससे,
 ना बना ऐसी कोई साजिश ।
बाँट ना बस हिन्द को अब ,
मेरी इतनी सी गुजारिश ॥

मै तो बसता हूँ तुम्ही में,
दिल में देखो तो जरा ।
लाशों की नींव के तले,
ना बना तू दर मेरा ॥
बरसों सहा चुपचाप मैने,
ना कर सब्र की आजमाइश ॥
बाँट ना बस हिन्द को अब ,
मेरी इतनी सी गुजारिश ॥

मेरी इतनी सी गुजारिश .....................

शनिवार, 11 सितंबर 2010

अल्लाह और ईश्वर का संगम

आज देश एक तरफ गणेश चतुर्थी मना रहा है तो दूसरी तरफ ईद की मुबारक रात है , इतना कुछ खुशी मनाने को है फिर भी मुझे कुछ अधूरा सा लग रहा है । कितना अच्छा होता मगर हम मिलजुल कर दोनो ही त्योहार मनाते। और ये सिर्फ मेरी ही नही ईश्वर और अल्लाह दोनो की भी ख्वाइश है जो कुछ इस तरह बयां की गयी है ....................


ना बहा रक्त का समन्दर ना बना इस धरा को कानन
संदेश ये देने को आये अल्लाह के संग में गजानन ॥

लडते ही रह गये देखो मौलवी और पुजारी
कोई कहे मंदिर बने कोई कहे मस्जिद की बारी
गणपति को जन्मदिन की अल्लाह देते आज बधाई
और् तोहफे में ईद की इतनी मुबारक रात  आई
ईद की मुबारकबाद दे रहे खुदा को गजानन
संदेश ये देने को आये अल्लाह के संग में गजानन ॥


सुन सको तो सुन लो हमसे चाहता है क्या खुदा
मन की आँखे खोल देखो  नही राम रहीम से जुदा
ईट की इमारतों से तो घर भी बसा करते नही
खून की नदियों किनारे मंदिर  बना करते नही
हाथ जोडे कह रहे प्रभु झगडे का कर दो समापन
संदेश ये देने को आये अल्लाह के संग में गजानन ॥

ईद की इस रात मे खुदा बन्दे से ईदी माँग रहा
गणपति जन्मदिन का उपहार भक्तों से माँग रहा ,
हो सके तो दे दो हमको अपने दिलों में तुम जगह
छोड दो बस आज अभी से सारी लड्ने की वजह ,
एक ही साथ बना दो दोनो का छोटा सा आसन ।
संदेश ये देने को आये अल्लाह के संग में गजानन ॥

बुधवार, 8 सितंबर 2010

जिन्दगी क्या है ??



जिन्दगी कभी सवाल कभी जवाब होती है,
कभी ये हकीकत कभी ख्वाब होती है ।
किसी एक पल खुशियाँ बेहिसाब होती है ,
कभी उम्र भर के गम का सैलाब होती है ॥

कभी हंसी मुकद्दर बन मुस्कुराती है जिन्दगी ,
कभी मुकद्दर की हंसी उडाती है जिन्दगी ।
कभी खुशी में आँख नम कर जाती जिन्दगी ,
कभी दर्द में अश्कों का रेगिस्तां बन जाती जिन्दगी ॥

कभी दुनिया के बाजार में बेची जाती जिन्दगी ,
कभी बिना दाम के ही बिक जाती जिन्दगी ।
कभी अल्लाह से दुआ जीने की माँगती जिन्दगी ,
कभी मौत की भीख को तरसती रह जाती जिन्दगी ॥

कभी  गुलिस्ताँ का हसीन फूल जिन्दगी ,
कभी पतझड में बिखरे पत्तों सी जिन्दगी ।
कभी सबसे अजीज दोस्त लगती जिन्दगी ,
कभी  दुश्मन के खंजर सी  चुभती जिन्दगी ॥

साँसो के आने जाने का नही नाम जिन्दगी ,
हासिल करने का ही तो नही नाम जिन्दगी ।
औरों के जो काम आये वो ही पल है जिन्दगी ,
मर कर भी जो जिये उसी का नाम जिन्दगी  ॥

शनिवार, 4 सितंबर 2010

गुरु का अभिनन्दन

गुरुवर आज करो स्वीकार
मेरा शत शत अभिनन्दन ।

तेरी शरण में आकर ही
धन्य हुआ मेरा जीवन ॥

माँ ने मुझको जन्म दिया
और पिता ने मुझको पाला ,
पर जीवन की मुश्किल राहों में
इक तुमने ही मुझे सभांला ,
हर जनम में आशीष आपका पाऊँ
यही करूं ईश्वर से वन्दन ।

गुरुवर आज करो स्वीकार
मेरा शत शत अभिनन्दन ॥

दुनिया में जब सबने कहा
मुझको मूरख अज्ञानी ,
इक तुमने ही तो थी
मेरी प्रतिभा पहचानी ,
मेरे संग तप कर तुमने
बना दिया मुझको कंचन ।

गुरुवर आज करो स्वीकार
मेरा शत शत अभिनन्दन ॥

विश्वामित्र से पाकर शिक्षा
रामचन्द्र भगवान बने ,
द्रोण मूर्ति से लेकर  दीक्षा
एकलव्य जग में महान बने ,
सानिध्य आपका पाकर के
पावन हुआ मेरा मन दर्पण ।

गुरुवर आज करो स्वीकार
मेरा शत शत अभिनन्दन ॥
GreenEarth