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बुधवार, 30 मई 2012

तेरे आने के बाद


तेरे आने से पहले मेरी नींदें
ख्वाबों से बेजार तो ना थी
प्यार के अहसास से दिल
मरहूम रहा हो ऐसा भी ना था
मगर फिर भी तेरे आने से
लगता है सब बदल सा गया
अब ही से तो हमने किया है
शुरू अपनी जिन्दगी को जीना
सुबह तब भी निकलता था
सूरज पूरब से ही और
शाम को चाँद भी आकर
बिखेरता था चाँदनी अपनी
मगर फिर भी तेरे आने से
लगता है सुबह लाती है प्यार
चाँद की चाँदनी मे घुली
होती है सनम मोहब्बत तेरी
फूल पहले भी खिलते थे
भीनी भीनी सी खुशबू लिये
सावन भी आया करता था
हल्की हल्की सी फुहारें लिये
मगर कुछ तो है ऐसा जो
पहले महसूस ना हुआ कभी
जाना है तेरे आने से
किस बात की थी हमको कमी
नजर वही है, नजारे भी है वही
बस बदल गया है नजरिया तेरे आने से
राहें वही है , और हम भी है वही
बस मिल गयी मंजिल तेरा साथ पाने से
आज जाना और माना हमने
क्यों होता है इश्क इबादत
कैसे बन जाता है अजनबी
जिन्दगी और सांसों की जरूरत............

शनिवार, 5 मई 2012

इक ख्वाब खुली आँख का.......


आँखों में बसता है मेरे

आसमां का इक छोटा सा टुकडा

जिसमें देखती हूँ मै

खुद को उडते हुये

उस स्वच्छंद आकाश में

खुद को विचरते हुये

चंचल आतुर मन में

कुछ अनसुलझे सपनें लिये

ढूँढती हूँ बादलों के पार

अपनी आशाओं की इमारत

और तलाशती हूँ उसके

हर कोने में अपनी पहचान

तभी एक अनदिखा चेहरा

उरक सा जाता है बादलों के बीच

और फैला के बाहें, मौन निमन्त्रण दे

करता है कोशिश बांधने की

असमंजस में पड कभी उसकी ओर

कभी उससे दूर मै कदम बढाती

कभी मन मचलता है इस नये

अन्जाने बन्धन में बंधने को

कभी तडपता, विचलित हो जाता

दूर गगन से परे उड जाने को

मगर जितना भी उडती हूँ

आकाश विस्तृत होता ही जाता

और ठहरती जहाँ भी मुझे

खडा नजर वो ही आता
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